नई दिल्ली, 30 जुलाई . दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन छात्रों की मौत के मामले में दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है और ब्यूरोक्रेट्स जांच में लापरवाही कर रहे हैं.
आतिशी का कहना है कि 27 जुलाई को रात 11:20 बजे, मैंने मुख्य सचिव को ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन लोगों की मौत की घटना की मजिस्ट्रेट जांच शुरू करने और 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. लेकिन 29 जुलाई को शाम 7:40 बजे, मुझे केवल संभागीय आयुक्त से घटना की रिपोर्ट मिली और बताया गया कि जांच में सात दिन और लगेंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी दुखद घटना हुई है, लेकिन नौकरशाही मामले की जांच में ढिलाई बरत रही है. इससे सवाल उठता है कि क्या दोषियों को बचाया जा रहा है.
आतिशी ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से भेजी गई रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए ये आरोप लगाए है. रिपोर्ट में घटना को विस्तार से बताया गया है. इसके मुताबिक 27 जुलाई को शाम 7:20 बजे एसडीएम (करोल बाग) को एक टेलीफोनिक सूचना प्राप्त हुई, इसमें बताया गया कि बारिश का पानी 11बी, बड़ा बाजार रोड, ओल्ड राजेंद्र नगर के राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में भर गया और कुछ छात्र वहां फंस गए.
रिपोर्ट में बताया गया कि बेसमेंट में लगभग पांच छात्रों के फंसे होने और फायर सर्विस, पुलिस विभाग को सूचना दिए जाने की जानकारी मिली थी. सूचना मिलते ही जे. आनंद कुमार, तहसीलदार/कार्यकारी मजिस्ट्रेट (करोल बाग) और हरीश, डीपीओ, डीडीएमए, रामानुजन, मुख्य वार्डन, नागरिक सुरक्षा और मनोज शर्मा, वार्डन, नागरिक सुरक्षा को घटनास्थल पर पहुंचने के लिए निर्देशित किया गया. तहसीलदार (करोल बाग) और डीपीओ, डीडीएमए नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और पाया कि बेसमेंट में पानी भर गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि फायर कर्मी बेसमेंट से पानी बाहर निकालने के लिए पांच मोटर पंपों का उपयोग कर बचाव प्रयास कर रहे थे. बेसमेंट की ऊंचाई लगभग 15 फीट है और क्षेत्रफल लगभग 500 वर्ग मीटर था. लोगों की सुरक्षा के लिए इमारत और आसपास के इलाकों की बिजली काट दी गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक सड़क और बेसमेंट स्तर पर जलस्तर समान है, इसलिए बेसमेंट से पंप किया गया पानी फिर से वापस आ रहा था. इसलिए, डीएफएस की मदद के लिए एनडीआरएफ से गोताखोरों को बुलाया गया. तीन से चार फीट जलस्तर को कम करने के बाद, डीएफएस कर्मियों ने बचाव अभियान के लिए बेसमेंट में प्रवेश किया और एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के सहयोग से तीन लोगों को बाहर निकाला गया.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहला शव रात करीब 10.40 बजे, दूसरा शव करीब 11.30 बजे निकाला गया. तीसरा शव 28 जुलाई को रात 1.30 बजे पाया गया. शवों को पोस्टमार्टम के लिए आरएमएल अस्पताल के शवगृह में भेज दिया गया. जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे में मरने वालों में तान्या सोनी (22), श्रेया यादव (25) और नेविन डाल्विन (28) शामिल थे. जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बेसमेंट से पानी निकालने का सिलसिला 28 जुलाई की सुबह तक जारी रहा. इसमें अग्निशमन विभाग की आठ गाड़ियां शामिल थीं.
एनडीआरएफ द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ दो वाहन तैनात किए गए थे. इलाके की घेराबंदी करने और मौके पर कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे. बचाव अभियान की निगरानी के लिए एमसीडी के अधिकारी भी मौके पर उपलब्ध थे. रिपोर्ट के मिलने के बाद ही आतिशी ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि ब्यूरोक्रेट्स जांच में लापरवाही बरत रहे हैं और दोषियों को बचाना चाहते हैं.
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पीकेटी/एबीएम