बजट में जाति की सियासत से घिर गए राहुल गांधी, कांग्रेस कोर टीम में पिछडों के प्रतिनिधित्व को लेकर उठे सवाल

नई दिल्ली, 29 जुलाई . लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपने एक बयान को लेकर फिर विवादों में घिर गए हैं. राहुल गांधी ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय में आयोजित होने वाली पारंपरिक हलवा सेरेमनी पर सवाल उठाया है.

सोमवार को लोकसभा में बोलते हुए राहुल गांधी ने हलवा सेरेमनी को धर्म और जाति से जोड़ दिया. सोशल मीडिया पर अब यह चर्चा का विषय बन गया है. लोगों ने कांग्रेस की विभिन्न कमेटियों में दलितों-ओबीसी और आदिवासी प्रतिनिधित्व को लेकर भी प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विजय पटेल नामक यूजर ने लिखा, ”राहुल गांधी और कांग्रेस हिंदुओं को बांटना चाहते हैं और इसलिए वे वित्त मंत्रालय में अधिकारियों की जाति पूछकर दलितों और ओबीसी को भड़का रहे हैं. राहुल गांधी और कांग्रेस की कोर टीम में केवल दो या तीन ओबीसी और दलित हैं और उन्हें खुद से शुरुआत करनी चाहिए.”

यूजर ने यह भी दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी में भी दलितों-ओबीसी और अल्पसंख्यकों-आदिवासियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है.

दूसरे पोस्ट में यूजर ने लिखा, ”कांग्रेस के पास कितनी दलित, पिछड़ी और आदिवासी प्रचार समितियां हैं?”

एक अन्य पोस्ट में सवाल किया, ”कांग्रेस की भविष्य की चुनौतियों पर विचार करने वाले समूह में कोई आदिवासी, दलित या ओबीसी क्यों नहीं है?”

विजय पटेल ने यह भी पूछा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति में कितने दलित, ओबीसी और आदिवासी हैं?

यह पूरा विवाद राहुल गांधी के लोकसभा में सोमवार को दिए गए बयान के बाद सामने आया है. राहुल गांधी ने सदन में बजट से पहले ‘पारंपरिक हलवा सेरेमनी’ का पोस्टर दिखाया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

राहुल गांधी ने कहा कि बजट का हलवा है, वो बंट रहा है, इसमें देश के 73 फीसदी लोग हैं ही नहीं. ये हलवा आप खा रहे हो, शेष देश को हलवा नहीं मिल रहा है. 20 अफसरों ने हिंदुस्तान के बजट को तैयार किया है. मतलब हिंदुस्तान का हलवा है, वो 20 लोगों ने बांटने का काम किया है. मैं चाहता हूं कि बजट में जाति जनगणना की बात उठे.

वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मुस्कुराती नजर आईं.

खास बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने इस तरह के बयान दिए हैं. इससे पहले भी लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी दलित, ओबीसी और आदिवासी के मुद्दे पर सवाल उठाते रहे हैं. राहुल गांधी ने कई मौकों पर कहा था कि देश में जातिगत जनगणना जरूरी है, क्योंकि इसी से देश का एक्सरे होगा.

एसके/एबीएम