बरेली, 28 जुलाई . उत्तर प्रदेश में बरेली के इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में नेमप्लेट लगाने का फैसला मुसलमानों को सताने के लिए किया गया. यह फैसला यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की मजबूरी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया, क्योंकि इससे देश को नुकसान था. रजा ने कहा, “मैं केवल मुस्लिम धर्म की बात नहीं करता, बल्कि पूरे देश की बात करता हूं.” ने मौलाना तौकीर रजा से खास बातचीत की. यहां पढ़िए एक्सक्लूसिव बातचीत के मुख्य अंश.
सवाल : कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट को लेकर सरकार को जो कोर्ट से फटकार पड़ी है, उस पर क्या कहेंगे?
जवाब : मुख्य बात यह है कि नाम लिखने के पीछे मकसद क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर पाबंदी लगा दी, लेकिन हमारा जो नजरिया है, वह यह है कि हम चीजों को निगेटिव भी देखते हैं और पॉजिटिव भी. सरकार के किस फैसले से समाज, देश का क्या नुकसान हो सकता है. या किस फैसले से हमारा फायदा हो सकता है. ये चीजें देखना हमारी जिम्मेदारी है. मैंने यह महसूस किया कि यह जो फैसला आया, वह मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को महसूस किया और इस फैसले को रद्द किया. मेरा मानना यह है कि मजहबी तौर पर मुसलमानों ने अपनी शिनाख्त नहीं छुपाई होती. मुसलमान एक मुसलमान जैसा नजर आना चाहिए. उन्हें अपनी आइडेंटिटी, शक्ल और तरीका छिपाने की जरूरत नहीं है. जो मुसलमान कारोबार की वजह से या डर की वजह से अपनी पहचान छिपा रहा है, मैं समझता हूं कि उसमें ईमान की कमजोरी है. मैं यह देखना चाहता हूं कि जिन मुसलमानों ने योगी जी के फैसले के बाद अपनी दुकानों और उद्योगों पर नाम लिखना शुरू कर दिया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वो लोग अपनी दुकानों और उद्योगों पर अपना नाम लिखते हैं या नहीं. अगर लिखते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लोग किसी डर या दबाव में नहीं छिपा रहे हैं. मुसलमानों को खुद को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि फक्र के साथ कहना चाहिए कि वह मुसलमान हैं और हम हिंदुस्तानी हैं. तब काम चलेगा.
सवाल : नेमप्लेट को लेकर जब फैसला आया तो हिंदू, मुसलमान, धर्म के अगड़े और पिछड़े लोग सभी दुकानों पर अपना नाम लिख रहे थे. इसके बावजूद इस पर राजनीति की गई कि सरकार दलितों की दुकानें बंद करवाना चाहती है?
जवाब : यह बात बिल्कुल सही है कि मुसलमानों को सताने और दलितों के कारोबार को चौपट करने की नीयत से यह काम किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वह बिल्कुल दुरुस्त है. मैं उस फैसले का स्वागत करता हूं.
सवाल : सरकार का कहना था कि यह पहले से नियम है कि जिसके पास लाइसेंस है, उस व्यक्ति को अपना लाइसेंस लगाना ही होगा. उस लाइसेंस पर सबका नाम लिखा होता है?
जवाब : यह नियम ठेले वालों पर लागू नहीं होता. कोई व्यक्ति ठेले पर अगर फल बेच रहा है तो क्या वह व्यक्ति ठेले पर अपना नाम लिखेगा? मैं कहता हूं कि योगी और मोदी जी को यह कहना चाहिए कि तमाम ब्लड बैंकों पर यह आदेश दें कि जो भी व्यक्ति खून दे, उस पाउच पर लिखा होना चाहिए कि वह हिंदू है या मुसलमान का खून है. वह किस धर्म का है? किस जाति का है? जब खून एक-दूसरे को देकर एक-दूसरे की जान बचाने का काम कर रहे हैं, तब ठीक है. आप लोग हमारी जीविका से खिलवाड़ करने का काम करते हो. ये लोग देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं. इन लोगों ने हिंदुस्तान को बड़ी उलझन में डाला हुआ है. मुझे तकलीफ इस बात की है कि देश के आम हिंदुओं को यह देखना चाहिए कि जो अन्याय ये लोग कर रहे हैं, उससे देश का नुकसान हो रहा है. लेकिन, हिंदुओं को ऐसा लगता है कि मुसलमान का नुकसान हो रहा है, इसलिए वो लोग खामोश हो जाते हैं. मुसलमानों के नुकसान से ज्यादा ये लोग देश का नुकसान कर रहे हैं.
सवाल : योगी आदित्यनाथ की सरकार के सहयोगी दलों ने भी कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट लगाने के आदेश का विरोध किया?
जवाब : यह योगी जी की मजबूरी है, क्योंकि दिल्ली में योगी जी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जो व्यक्ति खुद को मुस्लिम दुश्मन साबित कर दे, वही बड़ा नेता माना जाता है. उनकी जब दिल्ली से लगाम कसी गई तो उन्होंने खुद को हिंदुओं का सबसे बड़ा नेता साबित करने के लिए मुसलमानों पर लगाम कसना शुरू कर दिया. हम तो बड़ी परेशानियों से गुजर रहे हैं. ये (भाजपा नेता) आपसी रस्साकशी में भी मुसलमानों के नाम का सहारा लेते हैं.
सवाल : आपके हिसाब से क्या कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले में थोड़ी कम अग्रेसिव दिखी, देश में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते जमकर इसका विरोध दिल्ली में करना चाहिए था?
जवाब : वह सेक्युलर लोग हैं. उनका सारा काम सेक्युलरिज्म के पर्दे में चलता है. मुसलमानों से उनका कोई लेना-देना नहीं है. वह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं. भाजपा हो या ये सेक्युलर पार्टियां हों, ये तमाम लोग सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं. किसका नुकसान हो रहा है, किसका फायदा हो रहा है, इससे इन पार्टियों को कोई लेना-देना नहीं है. इनको सिर्फ अपनी पार्टी के लाभ से मतलब है.
सवाल : एक तरफ जब कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार बनाने से पहले कहा कि मुस्लिम आरक्षण लाएंगे, दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी के जो मुस्लिम नेता हैं, वह भी इस फैसले का विरोध करते नजर नहीं आए?
जवाब : इसे कांग्रेस के समय का नियम कहना गलत है. सरकार कोई भी मुद्दा हो उसे कांग्रेस के समय का बता देती है. कश्मीर का मुद्दा है तो वह कांग्रेस के समय का मुद्दा, बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के मुद्दे पर कहते हैं, यह तो कांग्रेस के समय का मुद्दा है. कांग्रेस ने वहां पर मूर्तियां रखवाईं, कांग्रेस ने वहां पर ताला लगवाया, कांग्रेस के जमाने में ही सब कुछ हुआ. लेकिन, कांग्रेस ने ही शिलान्यास करवाया, तब इन्होंने नहीं कहा कि यह पूरा खेल कांग्रेस ने ही करवाया. इस पर भाजपा वालों ने कांग्रेस को क्रेडिट नहीं दिया, लेकिन इस मामले में कांग्रेस को दोषी बता रहे हैं. अगर यह आदेश पहले से भी चला आ रहा है तो भी इस वक्त लागू करना क्यों जरूरी था? आपको सत्ता में आए काफी समय हो गया है, लेकिन यह आदेश अभी लागू करना ही जरूरी क्यों था?
सवाल : यूपी या देश के मुसलमानों का रुख किसके साथ है? एक तरफ बीजेपी की राजनीति है, दूसरी तरफ कांग्रेस, जो सेक्युलर होकर चल रही है?
जवाब : सेक्युलर होना तो अच्छी बात है. हमें (मुसलमानों को) कोई स्पेशल अटेंशन नहीं चाहिए. हम यह चाहते हैं कि देश में न्याय होना चाहिए. हमें कुछ नहीं चाहिए. इज्जत से जीना हमारा अधिकार है और हम इज्जत से जीना चाहते हैं. हमारी आपसे (सरकार से) कोई डिमांड नहीं है.
सवाल : अगर यूपी की बात करें तो यूपी का रुख किससे साथ है? अखिलेश यादव पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडिए) का फार्मूला लेकर आए हैं. इस फार्मूले में वह अल्पसंख्यक की आवाज किस तरीके से उठाते दिख रहे हैं?
जवाब : चुनाव ने बता दिया कि यूपी का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का मुसलमान किसके साथ है. देश का मुसलमान देश के साथ है. वह किसी एक पार्टी के साथ नहीं है. भारतीय जनता पार्टी देश को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है, इसलिए सेक्युलरिज्म पर भरोसा रखने वाले तमाम हिंदुओं ने और मुसलमानों ने एक साथ होकर देश के लिए वोट किया. नतीजतन, आज विपक्ष बहुत मजबूत हुआ है. इसके बावजूद विपक्ष की भूमिका जिस तरह से निभाई जानी चाहिए, विपक्ष वह अभी भी नहीं निभा पा रहा है.
सवाल : मैं अगर पर्टिकुलर अखिलेश यादव की बात करूं तो समाजवादी पार्टी में पहले मुसलमानों की बात करने वाले और मुसलमानों के मुद्दे उठाने वाले तमाम नेता हुआ करते थे. आज ऐसा कोई नेता अखिलेश यादव के साथ नजर नहीं आता?
जवाब : शायद उनके पास नेताओं की कमी होगी. वह खुद मुसलमानों के सबसे बड़े नेता हैं. उन्हें किसी दूसरे नेता की जरूरत नहीं है. वह किसको साथ लेकर चलें, किसको नहीं, यह उनका मुद्दा है.
सवाल : अगर आज अखिलेश यादव यह कहें कि मैं मुसलमानों के हक की बात करूंगा, आप हमारे साथ आइए. क्या आप उनके साथ जाएंगे?
जवाब : मैं मुसलमानों के हित की बात चाहता ही नहीं हूं. मैं सेक्युलरिज्म की बात चाहता हूं, मैं न्याय की बात चाहता हूं. मैं बार-बार कह रहा हूं कि मुसलमानों को कोई स्पेशल अटेंशन नहीं चाहिए. मुसलमानों को इज्जत से जीने दें, उन्हें उनके इस्लामी अरकानों को इज्जत से अदा करने दें. हम यह नहीं कहते कि मंदिर से घंटे की आवाज कम हो जानी चाहिए. हम यह कहते हैं कि मस्जिद से भी आवाज आनी चाहिए. इससे अच्छे हिंदुस्तान का संदेश जाता है. इससे पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की इज्जत बढ़ती है.
सवाल : उत्तर प्रदेश में अभी तक का जो शासन रहा है, उसमें कैसी पुलिस व्यवस्था रही है, कैसा प्रशासन सीएम योगी ने चलाया?
जवाब : यह आपके देखने की बात है. देखिए अन्याय देश में भी हो रहा है और प्रदेश में भी. भाजपा शासित तमाम राज्यों में मुसलमानों के साथ नाइंसाफी की जा रही है. पांच मिनट की अजान में लोगों को दिक्कत होती है. लोगों की नींद खराब होती है. 10 मिनट की नमाज के लिए अगर मस्जिद में जगह नहीं है, जिससे किसी ने बाहर नमाज पढ़ ली तो इससे आपको दिक्कत है. पांच मिनट की अजान आपको तकलीफ पहुंचाती है, दस मिनट की नमाज आपको तकलीफ पहुंचाती है, लेकिन पूरे महीने की कांवड़ यात्रा, जिसमें रास्ते बंद कर दिए जाते हैं, वह आपको तकलीफ नहीं पहुंचाती? यह न्याय है या अन्याय? कांवड़ यात्रियों की सुविधा के लिए जो कुछ किया जाता है, वह किया जाना चाहिए, हमें उसमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन, हमारे ऊपर जो पाबंदियां लगाई जाती हैं, उससे हमें दिक्कत है. हमें उससे ऐतराज है.
सवाल : योगी आदित्यनाथ एक मीटिंग में कह रहे थे कि कोई ताजिया इधर से उधर नहीं जाता, जो तय रूट है, उस पर ही चलता है?
जवाब : ताजिया हमेशा उधर से ही जाता है, जिधर से तय है. नए रूट से कभी नहीं जाता. नई परंपरा हम नहीं डालते, लेकिन आप लोग डालते हो. आपका धर्म आपको जो इजाजत देता है, वह आप कीजिए, लेकिन हम पर पाबंदियां लगाना अन्याय है. आप पूरे महीने कांवड़ के नाम पर रास्ते बंद कर देते हैं. दस मिनट और एक महीने में कितना बड़ा अंतर है. आप हमारे दस मिनट बर्दाश्त नहीं कर सकते और हम आपका एक महीना बर्दाश्त करें.
सवाल : क्या यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को पद से हटाने की कवायद चल रही है, अंदरूनी तौर पर क्या उनका विरोध कई नेता करते दिख रहे है, खासकर जब से सरकार से बड़ा संगठन वाला जो बयान आया है, उसके बाद?
जवाब : यह उनका आंतरिक मामला है. इसमें हमारा बोलना मुनासिब नहीं. लेकिन, मैं यह समझता हूं कि अगर कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो योगी आदित्यनाथ राजधर्म का पालन कर रहे हैं और करते आए हैं. मैं बार-बार यह कहता हूं कि राजधर्म का पालन करना आपकी जिम्मेदारी है. आप सब के मुख्यमंत्री हैं. आप सिर्फ हिंदुओं के मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि मुसलमानों के भी मुख्यमंत्री हैं. आप दलितों के भी मुख्यमंत्री हैं. आपको सभी के साथ बराबर का व्यवहार करना चाहिए. तो कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो उनका काम ठीक है. ये जो चीजें मजबूरी में दिल्ली से लगाम कसती है तो ये हमारी लगाम कस देते हैं, मजबूरी में यह तरीका ठीक नहीं है. यह राजधर्म नहीं है.
सवाल : आपका मतलब योगी आदित्यनाथ से बैर नहीं है?
जवाब : मेरा किसी से बैर नहीं है. मैं जद्दोजहद का आदमी हूं, संघर्ष का आदमी हूं और इंसाफ पसंद हूं. नाइंसाफी कांग्रेस ने भी की. मैंने उनका विरोध किया. नाइंसाफी समाजवादियों ने भी की, मैंने उनका भी विरोध किया. जब जहां जिसकी सरकार होती है और नाइंसाफी होती है तो मैं उसकी मुखालफत करता हूं. भारतीय जनता पार्टी मेरा नुकसान कर ले, मैं बर्दाश्त कर लूंगा, लेकिन मेरे देश का नुकसान कर रहे हैं, मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा. मेरे प्रदेश का नुकसान मैं नहीं बर्दाश्त कर सकता. मेरे देश की अखंडता और एकता को बर्बाद किए जाने का काम किया जा रहा है. हिंदू तुष्टिकरण का काम किया जा रहा है. सरकारी पैसा तमाम धार्मिक कार्यों पर खर्च किया जा रहा है. ये अन्याय है, तमाम हिंदुओं को भी इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. जिन हिंदुओं को आस्था है, वो मंदिरों को अपने पैसे से चलाना चाहते हैं. राम मंदिर के लिए कितना बड़ा चंदा हुआ, वो सारा पैसा कहां गया? बाकी आपने सब सरकारी पैसे से काम किया. लोगों की जो आस्था का पैसा था, वो आप लोग खा गए. आपने सरकारी पैसा खर्च करके मंदिर बनाया. सरकारी योजनाओं का जो पैसा है, वो मंदिर और धार्मिक कार्यों में लगाया जा रहा है. यह हिंदू तुष्टिकरण है. इसका हमें विरोध करना चाहिए. हिंदू समाज को भी इसका विरोध करना चाहिए.
सवाल : कुछ राज्यों में मदरसों और मौलवियों के लिए स्पेशल फंडिंग होती है, उस पर आपका क्या कहना है?
जवाब : यूपी में बंद क्यों कर दिया गया? यूपी में मदरसों पर पाबंदी लगा दी गई. मदरसों को जो अनुदान जाता था, वो बंद कर दिया गया?
सवाल : सरकार तो कह रही है कि हमने अवैध मदरसों को बंद किया है?
जवाब : अवैध तो सरकार है भाई, सीधी बात यह है. कोई मदरसा अवैध नहीं है. अगर कहीं आतंकवाद की आपको खबर मिलती है तो ऐसा मदरसा हम खुद बंद कर देंगे. हम खुद उस पर ताला डालेंगे. हम खुद अपने पैसे से उस पर बुलडोजर चलाएंगे. हमारे यहां सिर्फ धर्म पढ़ाया जाता है. अल्लाह रसूल की बात बताई जाती है. अच्छाई और सच्चाई की बात बताई जाती है. आपको अच्छाई और सच्चाई से बैर है. बेईमानी और और झूठ से आपको लगाव है. इसलिए, आप अच्छाई और सच्चाई वाली जगहों पर पाबंदी लगा देते हैं.
सवाल : क्या आप सरकार के उस फैसले का तो स्वागत करेंगे, जो मदरसों में धर्म के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान की भी बात कही जा रही है?
जवाब : मदरसों में जो पाबंदी लगा रहे हो, ताले लगा रहे हो तो फिर बच्चे के ज्ञान-विज्ञान की बात कहां होगी. लेकिन, सवाल है कि यह सुरक्षित नहीं है. जब सरकार हमारे मदरसे चलने नहीं दे रही, उस पर बुलडोजर चला रही है, तालाबंदी कर रही है तो फिर ज्ञान-विज्ञान की बात कहां होगी ? वहां जो बात हो रही थी, वही नहीं हो पा रही है तो फिर आगे क्या बात होगी.
सवाल : अच्छा यूपी से जो बुलडोजर वाली राजनीति चली वो अब धीरे-धीरे पूरे देश में पहुंच चुकी है?
जवाब : नहीं, देखिए ऐसा है खराब बातें बहुत तेजी से फैलती हैं. किसी ने अपराध किया वो ज्वाइंट फैमिली में रहता है. जिस मोहल्ले में वो रहता है, उस मोहल्ले ने अपराध नहीं किया. जिस घर में वो रहता है, उस घर ने कोई अपराध नहीं किया. उस घर में जो लोग रहते हैं, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया. उस एक अपराधी की वजह से उस पूरे घर पर बुलडोजर चला देना, यह अन्याय है. बुलडोजर देश को तोड़ने का काम कर रहा है. बुलडोजर देश की संपत्ति को तोड़ने का काम कर रहा है. यह देश को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है. उसने अदालतों का काम अपने हाथों में लिया हुआ है. पुलिस का काम बुलडोजर चलाना नहीं है. पुलिस का काम यह है कि आप जो अपराधी हैं, उसे पकड़िए और कोर्ट में पेश करिए. यह कोर्ट तय करेगा की उसके साथ क्या किया जाना चाहिए. आपने कोर्ट का काम अपने हाथ में ले लिया. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तोड़ दी जाती है. नोएडा में आपको याद होगा कि सुपरटेक ट्विन टावर की, जो बिल्डिंग ब्लास्ट की गई थी. कितना बड़ा खर्च आया, उसको तोड़ने में. अगर वहां कुछ अवैध कुछ गलत था तो आप उस बिल्डिंग को जब्त कर लेते. वो आलीशान बिल्डिंग उस इलाके की शान थी. उसे आप जब्त कर लेते, उसको तोड़ने का क्या मतलब था? इसका मतलब यह है कि आप देश का नुकसान करने का काम कर रहे हैं. देश को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं, देश को बनाने का काम नहीं कर रहे हैं. आपने बनाया क्या है आज तक? तोड़ने के तो एक हजार सबूत हैं हमारे पास. आपने सिर्फ तोड़ा है, बनाया कुछ नहीं है.
सवाल : केंद्र की सरकार तो कह रही है कि हम आवास बना रहे हैं. उसमें हिंदू-मुस्लिम को नहीं देख रही है. उज्जवला योजना से रसोई गैस दे रहे हैं. नल जल योजना से घर-घर जल दे रहे हैं?
जवाब : हां, बहुत अच्छा कर रहे हैं. हवा पर भी पाबंदी लगा दें, नल पर भी पाबंदी लगा दें, सूरज पर भी पाबंदी लगा दें. अगर इनके बस में होता तो वो ये सब भी करते.
सवाल : लेकिन, वो तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करते हैं?
जवाब : कोई सबका विकास नहीं, बल्कि ये सिर्फ अपना और अपने साथियों के विकास का काम कर रहे हैं. देश को बर्बाद करने का काम किया जा रहा है. इसे नुकसान पहुंचाने का काम किया जा रहा है. जो सच्चे देश प्रेमी हैं, मुश्किल ये है कि वो खौफजदा हैं. वो कुछ बोल नहीं पा रहे हैं, कुछ कह नहीं पा रहे हैं.
सवाल : तो, उनकी आवाज आज के समय में कोई क्यों नहीं उठा रहा है?
जवाब : मैंने अभी क्या कहा? क्योंकि, बुलडोजर का खौफ है. ईडी का खौफ है. जब अरविंद केजरीवाल जैसा आदमी जो मुख्यमंत्री है, वो जेल में पड़ा हुआ है, तो फिर आम आदमी का क्या कहना है. आम आदमी क्या कर सकेगा?
सवाल : अयोध्या में भी हार हुई है?
जवाब : नहीं, मैं सिर्फ अयोध्या की बात नहीं कर रहा हूं. पूरे देश ने आपको कहां से कहां पहुंचाया है. आप ‘400 पार’ की बात कर रहे थे. तो, इन लोगों को पुनर्विचार करना चाहिए अपने फैसलों पर. सबसे बड़ी बात यह है कि आज देश की अपनी कोई एयरलाइन नहीं है. क्यों नहीं है? बांग्लादेश और नेपाल जैसे छोटे मुल्कों की अपनी एयरलाइन है. अपनी जो एयर इंडिया हुआ करती थी, उसको बेचने पर मजबूर हो गए. तमाम चीजें तोड़ते चले जा रहे हैं. तमाम चीजों का नुकसान करते जा रहे हैं और फिर तुम कहते हो कि तुम देश प्रेमी हो. ये लोग देश प्रेमी नहीं हैं, बल्कि देश को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
सवाल : ऐसे कितने लोग आपके संपर्क में थे, जो स्वेच्छा से अपना धर्म परिवर्तन करना चाहते थे या फिर कभी ऐसा हुआ है कि स्वेच्छा से आपने उसका धर्म परिवर्तन कराया हो?
जवाब : यह बात मैं कई बार बता चुका हूं कि मैंने कई साल से पाबंदी लगाई हुई है कि कोई भी प्यार-मोहब्बत के मामले में या फिर किसी लालच के मामले में अगर मुसलमान बनना चाहता है तो फिर उसे मुसलमान नहीं बनाया जाएगा. हमने पाबंदी लगाई हुई है, ऐसा कोई मुसलमान नहीं बनाया जाएगा. मैंने पिछले दिनों जो कहा था कि पांच लोगों का निकाह कराया जाएगा. मैंने पांच जोड़े के निकाह की अनुमति मांगी थी. मैंने कानून अपने हाथ में नहीं लिया. वो भी धर्म परिवर्तन नहीं करना था, बल्कि जो पहले से धर्म परिवर्तन कर चुके हैं. यह देखना प्रशासन का काम है. तो, वो लोग जो मुसलमान हो गए, तो मुसलमान होने के बाद जो हरामकारी हो रही है. ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रह रहे हैं. मैं समझता हूं कि हिंदू भी इसको पसंद नहीं करता होगा कि बिना फेरों के बिना शादी के लड़का और लड़की एक-साथ रहे. हमारे यहां इसे ‘सख्त हराम’ समझा जाता है. मैंने कहा जो लोग मुसलमान हो चुके हैं और इस किस्म की हरकत कर रहे हैं तो उन्हें लीगलाइज किया जाए. शरीयत के मुताबिक इनका निकाह होना चाहिए. मैंने सिर्फ निकाह की बात कही थी, धर्म परिवर्तन की बात नहीं की. धर्म परिवर्तन पहले उनका हो चुका है.
सवाल : उसके बाद यह मसला इतना बढ़ा इसलिए आपकी सुरक्षा हटा दी गई?
जवाब : सुरक्षा तो देखिए ऐसा है कि हम अल्लाह वाले लोग हैं. सुरक्षा तो मेरे ऊपर भी बोझ थी. मैं दिक्कत महसूस करता था. मैंने बार-बार इस बात को कहा भी. पिछले जो एसएसपी थे, मैंने उनसे कहा था कि मुझे सुरक्षा से दिक्कत होती है, लेकिन उन्होंने हटाया. वो बार-बार यह कहते रहे कि हमने आपके लिए नहीं रखा है, बल्कि अपनी आसानी के लिए रखा है. उस वक्त मेरी जान को खतरा था. आज मेरी जान को खतरा नहीं है. कप्तान साहब ने मेरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली होगी या फिर उनको यह रिपोर्ट मिली होगी की मुझे अब खतरा नहीं है, इसलिए उन्होंने इसे वापस ले लिया, लेकिन मैं यह समझता हूं कि मुझे किसी प्रकार का खतरा नहीं है. मेरी हिफाजत मेरा रब करेगा.
सवाल : आपके बयान के बाद तो तमाम लोगों ने आपके ऊपर इनाम भी रख दिया है?
जवाब : तो, फिर इसके बाद भी सुरक्षा हटाने का मतलब यह है कि ‘समथिंग इज ब्लैक’. प्रशासन की पुलिस की मंशा कुछ बड़ी घटना कराने की है, मैं ऐसा महसूस करता हूं.
सवाल : फिर, आप खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं?
जवाब : हम अल्लाह वाले लोग हैं और अपने तमाम मामलात अल्लाह के ऊपर छोड़ने वाले लोग हैं. हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अतीक जैसा वाक्या ये लोग कर सकते हैं, मुझे ऐसा महसूस होता है. पुलिस की सुरक्षा घेरे में ही वो कांड हुआ था. पुलिस की मौजूदगी में दो-तीन आदमी आते हैं और इतना बड़ा कांड करके चले जाते हैं. इंदिरा गांधी के पास सुरक्षा थी और राजीव गांधी के पास भी सुरक्षा थी. मुझे ऐसा लगता है कि सुरक्षा हटाने के पीछे कुछ न कुछ तो जरूर है और कुछ प्रोग्राम बनाया जा रहा है. अब यह शासन की तरफ से या फिर लोकल स्तर पर है. इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता.
सवाल : बरेली के बहुत सारे नेता आपको पसंद नहीं करते हैं?
जवाब : मुझे तो कोई पसंद नहीं करता. बरेली के क्या, पूरे देश के नेताओं में बताइए कि मुझे कौन पसंद करता है? इंसाफ की बात किसी को पसंद नहीं आती है. बेईमानी चाटुकारिता, चापलूसी, झूठ की बात सबको पसंद आती है और उससे हमें परहेज रहता है. हमें डॉक्टर ने मना किया है, ऐसी बातें करने के लिए. हमें अच्छाई, सच्चाई और हक़गोई की बात करने की इजाजत है.
सवाल : तो, हम क्या हम आगे भी मोहम्मद तौकीर रजा को मुसलमानों के हक की आवाज, सच्चाई की आवाज उठाते हुए देखेंगे? मुस्लिम धर्म के हैं तो उसके हित की बात जरूर करेंगे? अगर किसी के साथ भी अन्याय होगा तो आप वहां खड़े रहेंगे?
जवाब : आप गलत कह रहे हैं. मैं मुस्लिम धर्म की बात नहीं करता हूं, बल्कि पूरे देश की बात करता हूं. देश का हिस्सा देश का एक पार्ट मुसलमान है. अगर कार के एक पार्ट को नुकसान पहुंच रहा तो मतलब पूरी कार को नुकसान पहुंच रहा है. तो, पूरी कार को पूरे देश को नुकसान पहुंचाने का वो कर रहा है, जो मुसलमानों के बारे में गलत सोच रहा है और उसको सताने का काम कर रहा है. मैं मुसलमान की बात नहीं करता हूं, मैं देश की बात करता हूं. देश का अगर हित होता है, मेरा कत्ल हो जाने से, अगर देश को फायदा पहुंचाता है, तो मैं तैयार हूं.
सवाल : अभी जो अग्निवीर योजना आई है, जिसमें कहा गया है कि देश का जो युवा है वो अग्निवीर से जुड़ेगा चार साल के लिए. पीएम मोदी ने संसद में उसकी तारीफ की है. आपने कुर्बान होने की बात कही तो, लेकिन विपक्ष यह कह रहा है कि उनको शहीद का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. उनको सम्मान नहीं दे रहे हैं. चार साल बाद उनका भविष्य क्या होगा?
जवाब : उनके साथ अन्याय हो रहा है. यह तमाम चीज पहले हो चुकी है. यह तमाम बहस पहले हो चुकी है. इसके बावजूद लोगों में इस कदर बेरोजगारी है कि चार साल के लिए ही सही पूरा भविष्य बर्बाद हो जाए. चार साल ही हमारे सुधर जाए, तो बेरोजगारी का कोई इलाज उन लोगों के बस का ही नहीं है. क्योंकि इनके दिमाग में अजीब-अजीब तरह के वायरस भरे हुए हैं और पॉजिटिव अपने देश के बारे में कुछ सोचने की ना ही ताकत है और न ही सलाहियत.
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पीएसएम/एबीएम