नई दिल्ली, 28 जुलाई . रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि हर परिवार कि यह चिंता होती है कि कहीं उनका बच्चा ड्रग्स की चपेट में न आ जाए. अब ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकार ने एक विशेष केंद्र खोला है जिसका नाम है ‘मानस’. ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में यह बहुत बड़ा कदम है.
कुछ दिन पहले ही मानस की हेल्पलाइन और पोर्टल को लांच किया गया है. सरकार ने एक टोल फ्री नंबर 1933 जारी किया है. इस पर कॉल करके कोई भी व्यक्ति जरूरी सलाह ले सकता है. अगर किसी के पास ड्रग्स से जुड़ी कोई दूसरी जानकारी है तो वे इसी नंबर पर कॉल करके नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ यह सूचना साझा भी कर सकते हैं. यहां हर जानकारी गोपनीय रखी जाती है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को ड्रग्स फ्री बनाने में जुटे सभी लोगों से, सभी परिवारों से, सभी संस्थाओं से मेरा आग्रह है कि मानस हेल्पलाइन का भरपूर उपयोग करें.
प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान ‘टाइगर डे’ का भी जिक्र किया. 29 जुलाई को टाइगर डे मनाया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तो बाघ हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. हम सब बाघों से जुड़े किस्से कहानियां सुनते हुए ही बड़े हुए हैं. जंगल के आसपास के गांव के लोगों को पता होता है कि बाघों के साथ तालमेल बिठाकर कैसे रहना है.
उन्होंने कहा, हमारे देश में ऐसे कई गांव हैं जहां इंसानों और बाघों के बीच टकराव की स्थिति नहीं आती. लेकिन जहां ऐसी स्थिति आती है वहां भी बाघों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व प्रयास हो रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जन भागीदारी का ऐसा ही प्रयास है ‘कुल्हाड़ी बंद पंचायत’. राजस्थान के रणथंभौर से शुरू हुआ ‘कुल्हाड़ी बंद पंचायत’, अभियान बहुत दिलचस्प रहा है. स्थानीय लोगों ने स्वयं इस बात की शपथ ली है कि जंगल में कुल्हाड़ी के साथ नहीं जाएंगे और पेड़ नहीं कटेंगे.
इस एक फैसले से यहां के जंगल एक बार फिर से हरे भरे हो रहे हैं जो बाघों के लिए बेहतर वातावरण तैयार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र का ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व बाघों के प्रमुख बसेरों में से एक है. यहां के स्थानीय समुदायों ने इको टूरिज्म की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं. उन्होंने जंगल पर अपनी निर्भरता को कम किया है ताकि यहां बाघों की गतिविधियां बढ़ सके.
प्रधानमंत्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश के चेंचू जनजाति के प्रयास भी हैरान कर देंगे. उन्होंने जंगल में वन्य जीवों के मूवमेंट की हर जानकारी एकत्र की है. इसके साथ ही वे इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियों की निगरानी भी करते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में बाघ मित्र कार्यक्रम भी काफी चर्चा में है. इसके तहत स्थानीय लोगों को बाघ मित्र के रूप में काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है. यह बाघ मित्र इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि बाघों और इंसानों के बीच टकराव की स्थिति न बने.
देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के कई प्रयास जारी हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने यहां कुछ ही प्रयासों की चर्चा की है, लेकिन मुझे खुशी है कि जन भागीदारी बाघों के संरक्षण में बहुत काम आ रही है. ऐसे प्रयासों की वजह से ही भारत में बाघों की आबादी हर साल बढ़ रही है. आपको यह जानकर खुशी और गर्व का अनुभव होगा कि दुनिया भर में जितने बाघ हैं उनमें से 70 प्रतिशत बाघ हमारे देश में है. तभी तो हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में कई टाइगर सेंचुरी हैं.
प्रधानमंत्री ने बताया कि बाघों के बढ़ने के साथ-साथ हमारे देश में वन क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है. इसमें भी सामुदायिक प्रयासों से बड़ी सफलता मिल रही है. उन्होंने कहा कि पिछले मन की बात कार्यक्रम में आपसे ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम की चर्चा की थी, मुझे खुशी है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने इंदौर में हुए एक कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि ‘मां के नाम एक पेड़’ कार्यक्रम के दौरान यहां एक ही दिन में 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से कहा कि ‘मां के नाम पेड़’ लगाने के इस अभियान में आप भी जरूर जुड़े.
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जीसीबी/केआर