नई दिल्ली, 26 जुलाई . एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा उद्योग चिकित्सा उपकरणों के साथ प्रौद्योगिकी को तेजी से अपना रहा है. ऐसे में मरीजों के डेटा की रक्षा के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल डिवाइस सेक्टर में साइबर सुरक्षा पर किए जा रहे खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसमें 2022 से 2027 के बीच 631.2 मिलियन डॉलर से बढ़कर 1.2 बिलियन डॉलर तक की वृद्धि का अनुमान है जो 12.9 प्रतिशत है. यह स्वास्थ्य सेवा में उपकरणों को साइबर खतरों से बचाने की प्रतिक्रिया है.
ग्लोबलडाटा की वरिष्ठ चिकित्सा विश्लेषक एश्ले क्लार्क ने कहा, ”व्यक्तिगत डेटा के मूल्य और कनेक्टेड डिवाइसों के व्यापक नेटवर्क के कारण स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क बहुत संवेदनशील है. इस नेटवर्क में पुराने सुरक्षा प्रोटोकॉल वाले पुराने सिस्टम और स्वास्थ्य नेटवर्क से जुड़े व्यक्तिगत डिवाइस परेशानी पैदा कर सकते हैं.”
साइबर सुरक्षा में निवेश की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताते हुए क्लार्क ने कहा कि जब स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी का उल्लंघन होता है तो रोगी की भलाई के लिए खतरे की जद में आए सिस्टम को तुरंत बहाल करने की जरूरत होती है.
दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में डेटा उल्लंघन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अमेरिका में, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग ने 2022 से 2023 तक प्रभावित व्यक्तियों में दो गुना वृद्धि और 2024 की पहली छमाही में 15 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी .
भारत में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) जैसे शीर्ष संस्थान भी इससे प्रभावित हुए.
रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक 68 प्रतिशत चिकित्सा उपकरण नेटवर्क से जुड़े होंगे, जिससे यह जोखिम और बढ़ जाएगा. इसका मतलब यह है कि एक भी मामूली सी चूक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए खतरा बन सकती है.
क्लार्क ने कहा, ”रोगी डेटा की सुरक्षा, बिना रुकावट के देखभाल सुनिश्चित करने और साइबर हमलों से बचने के लिए व्यापक सुरक्षा उपायों को लागू करना आवश्यक है, विशेष रूप से उद्योग की एकाधिकार वाली परस्पर जुड़ी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता को देखते हुए.”
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