नई दिल्ली, 22 जुलाई . केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. इस फैसले पर मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि यह फैसला स्वागत योग्य है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह पक्षपातपूर्ण आदेश था. आरएसएस एक सामाजिक संगठन है. कांग्रेस को समझना चाहिए कि सामाजिक संगठनों में कर्मचारियों की भागीदारी पर प्रतिबंध पहले ही खत्म कर देना चाहिए था. इसे देर से हटाया गया लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं.
इस संबंध में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम मायावती ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला अनुचित है, इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस शाखाओं में जाने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाने का केंद्र सरकार का फैसला राष्ट्रीय हित से परे, संघ को खुश करने के लिए एक राजनीति से प्रेरित फैसला है, ताकि लोकसभा चुनाव के बाद सरकारी नीतियों और उनके अहंकारी रवैये आदि को लेकर दोनों के बीच जो कड़वाहट बढ़ गई है, उसे दूर किया जा सके.”
उन्होंने आगे लिखा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए संविधान और कानून के दायरे में रहकर निष्पक्ष रूप से जनहित और जनकल्याण के लिए काम करना जरूरी है, जबकि कई बार प्रतिबंधित हो चुके आरएसएस की गतिविधियां न केवल राजनीतिक रही हैं, बल्कि एक पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं. ऐसे में यह फैसला अनुचित है, इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकार द्वारा जारी आदेशों में संशोधन किया है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में भाग लेने पर रोक लगाई गई थी. मोदी सरकार के इस फैसले का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी स्वागत किया है.
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