भारतीय मूल के न्यूरोलॉजिस्ट ने मिर्गी के दौरे का पता लगाने के लिए तैयार की नई तकनीक

नई दिल्ली, 19 जुलाई . भारतीय मूल के एक अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जो मिर्गी पीड़ित लोगों में दौरे पड़ने की भविष्यवाणी काफी पहले कर सकती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-सैन फ्रांसिस्को में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. विक्रम राव के नेतृत्व में की गई यह खोज मिर्गी की बीमारी का सामना करने वाले लाखों मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है.

दौरों की भविष्यवाणी करने के प्रयासों में अक्सर लंबे समय तक आंकड़े एकत्र करने की आवश्यकता होती है, जो बोझिल होने के साथ-साथ सटीक भविष्यवाणी नहीं करता है.

वर्तमान में अन्य तरीकों के साथ-साथ मिर्गी से पीड़ित लोगों में रिस्पॉन्सिव न्यूरोस्टिम्यूलेशन सिस्टम (आरएनएस) इम्प्लांट किया जाता है, जो मस्तिष्क की गतिविधि की निगरानी करने के साथ दौरे को रोकने का प्रयास करते हैं. हालांकि यह तकनीक कभी-कभी बहुत देर से प्रतिक्रिया करती है.

राव के नेतृत्व वाली टीम ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो मस्तिष्क संचार पैटर्न की पहचान करके दौरे की भविष्यवाणी कर सकती है. उन्होंने आरएनएस का उपयोग कर रहे हिप्पोकैंपल दौरे वाले 15 लोगों का अध्ययन किया. उन्होंने दौरे से जुड़ी एक साइकिल की पहचान की जो कई दिनों तक चलती है. इस दौरान हिप्पोकैम्पस के बीच समन्वय बढ़ जाता है.

इस पैटर्न से एक दिन पहले भी दौरे की भविष्यवाणी करना संभव हो सका. महज 90 सेकंड के डेटा का उपयोग करके उनके एल्गोरिदम से यह बताना संभव हो सका कि अगले 24 घंटों के भीतर दौरे आयेंगे. इस तरीके को “स्नैपशॉट सीजर फोरकास्टिंग” का नाम दिया गया है.

यह प्रणाली लगभग सभी प्रतिभागियों के लिए कारगर साबित हुई, जिससे उन्हें सावधानी बरतने के लिए समय मिला. टीम की इस प्रयोग में और मरीजों को शामिल करने तथा आंकड़े एकत्र करने के लिए नॉन इनवेसिव तरीकों की खोज करने की है.

सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मिर्गी के 70 प्रतिशत मरीज अपने दिन की बेहतर योजना बनाने के लिए ऐसी पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग करेंगे, जिससे अप्रत्याशित दौरों का डर कम होगा और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा.

एमकेएस/एकेजे