राजस्थान विधानसभा में गूंजा पाकिस्तान से आए विस्थापितों की नागरिकता का मामला

जयपुर, 18 जुलाई . राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए अल्पसंख्यकों का मुद्दा चर्चा का विषय रहा. सदन शुरू होने पर निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने पूरक प्रश्न के माध्यम से विस्थापितों को नागरिकता देने का मुद्दा उठाया.

सदन खत्म होने के बाद से बात करते हुए उन्होने कहा, “आज पाकिस्तान से विस्थापितों का मामला सदन में रहा. वो लोग जो पराया देश छोड़ कर अपने देश में आये और आज अपने देश के अंदर ही वो लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. वो लोग जिनको अभी तक पिछले 10 सालों में नागरिकता नहीं मिल पाई, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा विस्थापित लोग हैं. आधे से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनके रिश्तेदारों से लेकर आधे परिवार के लोग यहां रहते हैं. वह नागरिकता की उम्मीद लेकर यहां आये थे. इस देश में अपने लोगों के बीच वह रहेंगे.”

उन्होने आगे कहा, “यह हम सभी लोगों के लिए दुख का विषय है कि उनमें से किसी को भी नागरिकता नहीं मिल पाई है. अभी तक बाड़मेर, जैसलमेर और बहलोत्रा जिले में आवेदकों के सिर्फ 22 प्रतिशत लोगों को ही नागरिकता मिल पाई है. यह वाकई गंभीर विषय है. हम सभी को इस पर सोचना चाहिये. मैंने आज सदन के पूरक प्रश्न में माननीय मंत्री महोदय से यह पूछा कि क्या आप पाकिस्तान से आए विस्थापितों पर कोई नोडल अधिकारी रखने का विचार रखते हैं?”

इसके बाद वह कहते हैं, “जितने भी लोग विस्थापित होकर यहां आ रहे हैं, उनको यहां की भाषा न समझने की वजह से दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है. उन्हे परेशान न कर उन्हें नागरिकता देनी चाहिये.”

गौरतलब है कि आजादी के बाद पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों का भारत में विस्थापन लगातार जारी रहा. समय-समय पर भारत में इन सभी विस्थापितों को नागरिकता देने की मांग होती रही है. सरकार ने विस्थापितों के एक बड़े समूह को नागरिकता दी भी है. बीते कुछ साल पहले नागरिकता संशोधन कानून का आना भी बाहर से आए लोगों को नागरिकता देने का हिस्सा था.

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