मंदसौर, 17 जुलाई . मध्य प्रदेश के मंदसौर में जिलाधिकारी के कार्यालय में प्रत्येक मंगलवार को लोग समस्याओं के निपटारे के लिए बड़ी ही उम्मीद के साथ पहुंचते हैं. जिलाधिकारी का दावा है कि वो लोगों की समस्याओं का निपटारा कर उन्हें एक नई उम्मीद की किरण देते हैं. इसी बीच, एक किसान बड़ी ही उम्मीदों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पिछले कई दिनों से जा रहा था, लेकिन अफसोस उनकी फरियाद नहीं सुनी जा रही थी. अफसर के इस रवैये से त्रस्त होकर वो मंगलवार को बेहद ही दयनीय अवस्था में पहुंचा. उन्हें लगा कि शायद वो इस दयनीय दशा में कार्यालय पहुंचेंगे, तो उनकी फरियाद सुनी जाएगी.
किसान की पहचान शांतिलाल पाटीदार के रूप में हुई है. वो पिछले कई दिनों से भूमि और बीज को लेकर परेशान थे. अपने काम के लिए वो लगातार कई विभागों के चक्कर लगा रहा था, लेकिन उसकी फरियाद पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था, लिहाजा उसने दयनीय दशा में जिलाधिकारी के कार्यालय जाने का फैसला किया. उसे लगा कि वो अगर वो ऐसा करेगा तो उसकी फरियाद सुनी जाएगी और उनका रूका हुआ काम हो जाएगा.
बता दें कि इस बार जब किसान इस अवस्था में जिलाधिकारी के कार्यालय पहुंचा, तो वहां तैनात अधिकारी और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने उसे गंभीरता से लिया और आराम से उसकी फरियाद भी सुनी.
पीड़ित किसान शंकर लाल पाटीदार ने कहा, “मैं पिछले कई दिनों से जिलाधिकारी के कार्यालय के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन मेरी फरियाद नहीं सुना जा रही है. गलती कोई और करे और सजा मुझे मिले. आखिर यह कहां की रीत है. दोनों तरफ से मैं फंस रहा हूं. एक तरफ जहां मैं निजी परेशानियों से जूझ रहा हूं, तो वहीं दूसरी तरफ अधिकारी मेरी फरियाद सुनने को तैयार नहीं हो रहे हैं. जब अधिकारियों ने मेरी बात नहीं सुनी, तो आखिर में मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ा.“
पीड़ित किसान ने आरोप लगाया कि मुझे मेरे काम को कराने के एवज में दलाली मांगी जा रही है. अब आप बताइए कि आखिर मैं किसी को दलाली क्यों दूं. आखिर यह कहां तक उचित है. यह लोग जनता के हित के लिए काम करने के लिए बैठे हैं, तो मैं किसी को दलाली क्यों दूं. मैं किसान हूं. गरीब किसान का बेटा हूं. इसके बावजूद भी मेरी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जो कि किसी भी मायने में उचित नहीं है.
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एसएचके/जीकेटी