तिरुवनंतपुरम, 16 जुलाई . तिरुवनंतपुरम में नहर की सफाई करते समय एक सफाई कर्मचारी के मृत पाए जाने के एक दिन बाद, केरल सरकार और रेलवे के बीच विवाद छिड़ गया है और दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
जॉय (47) और तीन अन्य सफाई कर्मचारी भारी बारिश के बाद सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास एक नहर की सफाई में लगे हुए थे, तीन श्रमिक बाहर आने में कामयाब रहे लेकिन जॉय पानी में बह गए.
सोमवार को जॉय का क्षत-विक्षत शव उस स्थान से एक किलोमीटर दूर मिला, जहां से वह लापता हुआ था.
शव मिलने के बाद राज्य के मंत्री एम.बी. राजेश ने रेलवे पर प्लास्टिक वस्तुओं के उचित निपटान तंत्र न होने की आलोचना की थी, जिसके बाद वाकयुद्ध छिड़ गया था.
मंगलवार को उन्होंने फिर दोहराया, “यहां तक कि केरल हाई कोर्ट ने भी रेलवे की भूमिका और उत्पन्न कचरे की ओर ध्यान दिलाया है. हम बस यही उम्मीद कर सकते हैं कि वे समझेंगे.”
इस बीच, दक्षिणी रेलवे ने दावा किया कि उत्पन्न कचरा उन नहरों से है जो कभी सिंचाई विभाग के स्वामित्व में थीं.
रेलवे ने कहा, “रेलवे के पास कचरे के निपटान की व्यवस्था है. यात्रियों की आवाजाही के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे को स्टेशन से उचित तरीके से हटा दिया जाता है. इस प्रकार रेलवे के कचरे को नहर में फेंकने की संभावना बिल्कुल नहीं है. भारतीय रेलवे में चलने वाले सभी कोचों में बायो-टॉयलेट लगे हैं. इससे कचरे को खुले में फेंकने से रोका जा सकता है.”
राज्य के श्रम मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा कि रेलवे को जॉय और उनकी वृद्ध मां के परिवार को उचित मुआवजा देना चाहिए.
विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने भी नहरों की उचित सफाई सुनिश्चित न करने के लिए तिरुवनंतपुरम निगम की आलोचना की और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कचरे से निपटने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने पर निगम और राज्य सरकार अधिक गंभीर दृष्टिकोण अपनाएं.
बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में पीड़ित परिवार के लिए अनुग्रह राशि की घोषणा की जा सकती है.
–
एमकेएस/