नई दिल्ली, 15 जुलाई . संयुक्त राष्ट्र संगठन की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि वैश्विक बाल टीकाकरण का स्तर 2023 में गिरा है. 14.5 मिलियन बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (डीटीपी) का टीका नहीं मिल सका.
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट में 14 बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज (डब्ल्यूयूईएनआईसी) का अनुमान दिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में 84 प्रतिशत (108 मिलियन) बच्चों को डीटीपी के विरुद्ध टीके की तीन खुराकें मिलीं. लेकिन 14.5 मिलियन बच्चों को टीके की एक भी खुराक नहीं मिली. 2022 में 13.9 मिलियन इस टीके से वंचित थे.
इसके अलावा, 6.5 मिलियन बच्चों ने डीटीपी टीके की अपनी तीसरी खुराक पूरी नहीं की, जो कि शिशु अवस्था और प्रारंभिक बचपन में बीमारी से सुरक्षा प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाती है.
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने रिपोर्ट में कहा, “नवीनतम रुझानों में यह बात सामने आई है कि कई देशों के बच्चे इस तरह के टीकाकरण के वंचित रहे हैं.
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि खसरे की बीमारी के खिलाफ भी टीकाकरण की दर में गिरावट आई है. लगभग 35 मिलियन बच्चों को यह टीका नहीं मिला.
2023 में दुनिया भर में केवल 83 प्रतिशत बच्चों को नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से खसरे के टीके की पहली खुराक मिली. हालांकि, 2022 से दूसरी खुराक पाने वाले बच्चों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई. यह 74 प्रतिशत बच्चों तक पहुंच गई.
रिपोर्ट में पिछले पांच सालों में लगभग 103 देशों में खसरे के प्रकोप के लिए खसरे के खिलाफ टीकाकरण की कम दर को भी दोषी ठहराया गया है. दूसरी ओर, खसरे के टीकाकरण की मजबूत कवरेज वाले 91 देशों में इसका प्रकोप नहीं देखा गया.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, ”खसरे का प्रकोप कोयला खदान में कैनरी की तरह है, जो टीकाकरण में कमियों को उजागर करता है और सबसे कमजोर लोगों को सबसे पहले प्रभावित करता है.”
उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल किया जा सकता है.
रिपोर्ट में गावी वैक्सीन अलायंस द्वारा समर्थित 57 देशों में मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी), मेनिन्जाइटिस, न्यूमोकोकल पोलियो और रोटावायरस रोग के लिए बेहतर टीकाकरण कवरेज पर भी प्रकाश डाला गया है.
इसमें बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने वाली कम से कम एक खुराक पाने वाली किशोरियों की संख्या 2022 में 20 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 27 प्रतिशत हो गई है.
उच्च आय वाले देशों में एचपीवी वैक्सीन का कवरेज केवल 56 प्रतिशत लड़कियों तक ही पहुंच पाया. वहीं निम्न व मध्यम आय वाले देशों में यह कवरेज केवल 23 प्रतिशत ही रहा. इसका लक्ष्य सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को 90 प्रतिशत तक समाप्त करना था.
रिपोर्ट में टीकाकरण एजेंडा 2030 के 90 प्रतिशत कवरेज के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.
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एमकेएस/