ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

सोनीपत, 15 जुलाई . ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) और जापान के संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा व अनुसंधान के क्षेत्र में दोस्ती और सहयोग को स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं.

दोनों संस्थानों के बीच यह ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन, सांस्कृतिक और कार्मिक आदान-प्रदान से शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

समझौता ज्ञापन स्थिरता, सामाजिक और आर्थिक विकास तथा पर्यावरण अध्ययन में जेजीयू और यूएनयू (जापान) की ओर से शेयर किए गए तालमेल (सिनर्जी) को दर्शाता है.

दोनों साझेदार विश्व की चुनौतियों का समाधान करने और इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ज्ञान की प्रगति में योगदान देने के लिए अपनी कलेक्टिव एक्स्पर्टीज का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इस सहयोग से संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, फैकल्टी और स्टूडेंट एक्सचेंज तथा नवीन शैक्षणिक कार्यक्रमों (इनोवेटिव एकेडमिक प्रोग्राम) के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर त्शिलिद्जी मारवाला ने कहा, “यह समझौता ज्ञापन हमारे समय के कुछ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए समर्पित दो संस्थानों को एक साथ लाने का एक अनोखा अवसर पेश करता है.”

यूएनयू और जेजीयू के बीच तालमेल, विशेष रूप से टिकाऊपन और सामाजिक विकास में निस्संदेह उत्कृष्ट अनुसंधान और प्रभावशाली पहल को जन्म देगा.”

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सी राज कुमार ने कहा, “हम जापान में मुख्यालय वाले संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले भारत के पहले विश्वविद्यालय होने पर सच में सम्मानित महसूस कर रहे हैं.”

“यह समझौता ग्लोबल उच्च शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.”

जेजीयू और यूएनयू का शेयर विजन और हार्मोनाइजिंग शक्तियों में ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी और विकास के लिए नवीन अनुसंधान (इनोवेटिव रिसर्च) और महत्वपूर्ण योगदान के मार्ग प्रशस्त करने की अपार क्षमता है. इससे नई उभरती ग्लोबल शक्तियों के निष्पक्ष और न्यायपूर्ण वातावरण में काम करने और ज्यादा टिकाऊ दुनिया की दिशा में जरूरी बदलाव लाने की कोशिशों को बल मिलेगा.

जेजीयू और यूएनयू के बीच इस नए समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग से विषय अनुसंधान और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक गतिशील मंच (डायनामिक प्लेटफॉर्म) तैयार होने की उम्मीद है. अपनी ताकतों को मिलाकर, दोनों संस्थानों का लक्ष्य अत्याधुनिक समाधान विकसित करना है जो ग्लोबल चुनौतियों का समाधान करें, सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दें और पर्यावरण की रक्षा करें.”

एफजेड/