लखनऊ, 14 जुलाई . योगी सरकार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) प्रमाण पत्र के लिए वर्चुअल माध्यम से मूल्यांकन कराने जा रही है. अभी तक एनक्वास की टीम स्वयं जाकर इन स्वास्थ्य इकाइयों का भौतिक सत्यापन करती थी. इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगता था.
योगी सरकार के इस फैसले से एनक्वास प्रमाणित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को और बेहतर करने में मदद मिलेगी. देश में अभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की संख्या 1.70 लाख से अधिक है.
वहीं, उत्तर प्रदेश में 17,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर क्रियाशील हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्ता स्वास्थ्य’ लॉन्च किया है, उसमें एक बड़ा बदलाव यह भी है. दो अन्य पहल भी की गई है, जिनमें इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आईपीएचएस) के लिए डैशबोर्ड और फूड वेंडर्स के लिए स्मार्ट फूड लाइसेंस देना शामिल है. इसके अलावा एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं के लिए एनक्वास व कायाकल्प सर्टिफिकेट के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी हुए हैं.
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के एनक्वास सर्टिफिकेशन के लिए वर्चुअल मूल्यांकन और डैशबोर्ड की शुरुआत करने का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा तक आम लोगों की पहुंच को बढ़ाना तथा गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है. वर्चुअल विजिट में रोगियों, कर्मचारियों और समुदाय के लोगों के साथ बातचीत भी की जा सकेगी.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, अपर निदेशक व सीएमओ को पत्र जारी किया है. पत्र में निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक जनपद में हर महीने 10 से 20 चिकित्सा इकाइयों का वर्चुअल मूल्यांकन जरूर कराया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की 50 प्रतिशत स्वास्थ्य इकाइयों को वर्ष 2025 तक और वर्ष 2026 तक प्रदेश की सभी स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह सराहनीय फैसला है. इससे दूरस्थ इलाकों में स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का भी मूल्यांकन हो सकेगा.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. निशांत कुमार जायसवाल ने बताया कि अब तक प्रदेश की 275 चिकित्सा इकाइयां एनक्वास सर्टिफिकेशन प्राप्त कर चुकी हैं, जिसमें 56 जनपद स्तरीय, 42 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सम्मिलित हैं एवं अगले तीन महीने में इतनी ही और इकाइयों को इसके दायरे में लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार केवल उन्हीं स्वास्थ्य इकाइयों को यह प्रमाण-पत्र प्रदान करती है, जो मानक के अनुसार मरीजों का उपचार और देखभाल करती हैं. जो स्वास्थ्य इकाइयां एनक्वास प्रमाणित होंगी, वहां के स्थानीय लोगों के लिए उन इकाइयों में सुविधाएं भी बढ़ी मिलेंगी.
उन्होंने बताया कि एनक्वास प्रमाण पत्र देने वाली संस्था नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर (एनएचएसआरसी) को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय आईएसक्यूयूएईईए एक्रीडिएशन मिला है. इसका मतलब है कि एनक्वास न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानक का प्रमाण पत्र है, बल्कि एनएचएसआरसी अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करने वाली संस्था भी है.
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एएस/एबीएम