22 साल पहले लॉर्ड्स में मिली वो जीत, जिसने टीम इंडिया में आक्रामकता और आत्मविश्वास का संचार किया

नई दिल्ली, 13 जुलाई . आज से ठीक 22 साल पहले भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा गया था. सौरव गांगुली की कप्तानी में युवा भारतीय टीम ने इंग्लैंड के मैदान लॉर्ड्स में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में शानदार जीत दर्ज की थी. ये जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, बल्कि भारतीय क्रिकेट में बदलाव का संकेत था.

भारत उस समय विदेशी धरती पर क्रिकेट में बड़ी जीत की तलाश कर रहा था. टूर्नामेंट की तीसरी टीम श्रीलंका थी जो बाहर हो चुकी थी और इंग्लैंड को फाइनल में हराना टीम इंडिया के लिए बड़ी चुनौती थी, क्योंकि भारतीय टीम के सामने इंग्लैंड ने जीत के लिए 326 रनों का बड़ा टारगेट दिया था. तब टी20 क्रिकेट का वो जमाना नहीं था, जब 300 पार के टारगेट को आसान समझा जाता था. उस समय भारतीय टीम में युवाओं के दमखम ने फाइनल मुकाबले में ओवरसीज जीत को संभव बनाया.

गांगुली की अगुवाई में इस मुकाबले में युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया. बड़े लक्ष्य के जवाब में कप्तान गांगुली और वीरेंद्र सहवाग की आक्रामक बल्लेबाजी ने शुरुआत से ही इंग्लैंड को दबाव में ला दिया, लेकिन टीम का मिडिल ऑर्डर धराशाई हो गया. दिनेश मोंगिया, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के विकेट सस्ते में गंवाने के बाद भारत के पास अब जीत के ज्यादा चांस नहीं थे.

ऐसे में युवराज सिंह और मोहम्मद जैसे युवा बल्लेबाजों ने बड़ी जबरदस्त साझेदारी की. इन दोनों ने ऐसी पारियों का अंजाम दिया, जिसके बाद माना जाने लगा कि ये टीम बड़ी खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी या उनके फ्लॉप होने पर भी अपने युवाओं को मैच विनर के तौर पर देख सकती है. कैफ और युवराज ने जिस स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए, वह उनकी बल्लेबाजी को और भी खास बनाता है. युवराज 63 गेंदों पर 69 रनों की पारी खेलकर आउट हुए, तो कैफ ने 75 गेंदों पर नाबाद 87 रनों की पारी खेली और प्लेयर ऑफ द मैच बने.

हालांकि युवराज के आउट होने के बाद एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के विकेट लेकर भारत को फिर से मुश्किल में डाल दिया था. लेकिन कैफ संयम के साथ अंत तक डटे रहे और भारत को एक ऐसी जीत दिलाई, जो भारतीय क्रिकेट के सबसे आइकॉनिक पलों में शुमार है.

इस मैच के साथ गांगुली की आक्रामक कप्तानी अपने चरम पर थी. उन्होंने लगातार टीम का मनोबल बढ़ाया. जीत के बाद उनका लॉर्ड्स की बालकनी में जर्सी लहराना एक ऐतिहासिक पल बन गया. ये जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक टर्निंग पॉइंट थी. इसने टीम में आक्रामकता और आत्मविश्वास का संचार किया. आज भी इस जीत की लोकप्रियता किसी आईसीसी ट्रॉफी जीतने की तुलना में कम नहीं है.

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