बीजिंग, 12 जुलाई . सुधार और खुलापन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्र-शासन की बुनियादी नीति है. उसकी शुरुआत वर्ष 1978 में दिवंगत नेता तंग श्याओ पिंग की अध्यक्षता में आयोजित 11वीं सीपीसी केंद्रीय कमेटी का तीसरा पूर्णाधिवेशन था, जबकि उसका चौतरफा विस्तार वर्ष 2013 में शी चिनफिंग के अध्यक्षता में 18वीं सीपीसी केंद्रीय कमेटी का तीसरा अधिवेशन था.
वर्ष 2013 में चीन एक नये ऐतिहासिक चौराहे पर आया. कई दशकों की तेज वृद्धि के बाद देश में विकास की असंतुलित और अपर्याप्त समस्याएं अधिक गंभीर दिखाई दे रही थी. विश्व परिस्थिति में अभूतपूर्व बदलाव चल रहा था और नये दौर की वैज्ञानिक, तकनीकी और व्यावसायिक क्रांति उभर रही थी. देशी-विदेशी चुनौतियों के सामने चीन का सुधार गहरे पानी क्षेत्र में दाखिल हुआ.
उसी साल 18वीं सीपीसी केंद्रीय कमेटी के तीसरे सत्र ने शी चिनफिंग के नेतृत्व में तैयार किये गये चौतरफा तौर पर सुधार गहराने के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीपीसी के फैसले नाम दस्तावेज पारित किया.
इस दस्तावेज के मुताबिक चीन का सुधार नये युग में प्रवेश कर गया. नये युग के सुधार की चर्चा में शी चिनफिंग ने एक हज़ार वर्ष के पहले चीनी कवि सु शी के एक मशहूर वाक्य का हवाला दिया था. इस वाक्य का शाब्दिक अर्थ है कि सबसे कठिन समस्या दूर कर सबसे महान लक्ष्य का अनुसरण करना. पांच साल के बाद 19वीं सीपीसी केंद्रीय कमेटी के तीसरे सत्र ने पार्टी और देश की संस्थाओं का सुधार गहराने के फैसले व योजना पारित किया, जिसने सुधार व खुलेपन से सबसे बड़े पैमाने वाला संस्थागत सुधार शुरू किया.
इस महीने के मध्य में 20वीं सीपीसी केंद्रीय कमेटी का तीसरा सत्र होने वाला है. यह चीन के सुधार का और एक मील का पत्थर होगा. माना जा रहा है कि चीनी शैली वाला आधुनिकीकरण बढ़ाने से सुधार गहराना इस बैठक का मुख्य विषय होगा.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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