नई दिल्ली, 11 जुलाई . भारत की गोल्ड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री 2030 तक 25,000 रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी. इस दौरान 15,000 करोड़ रुपये का निवेश इंडस्ट्री में देखने को मिल सकता है. एक रिपोर्ट में गुरुवार को यह जानकारी दी गई.
इंडस्ट्री बॉडी पीएचडीसीसीआई (पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की ओर से कहा गया कि पुराने और नए खिलाडियों का घरेलू स्तर पर गोल्ड का उत्पादन 2030 तक बढ़कर 100 टन तक पहुंच सकता है. इसे विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होगा. इसके साथ ही व्यापार संतुलन में सुधार होगा और जीडीपी में योगदान बढ़ेगा.
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि भारतीय गोल्ड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री तेज ग्रोथ और बदलाव के लिए तैयार है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और 2047 तक हम विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे.
आगे कहा कि भारत की गोल्ड इंडस्ट्री में 2030 तक 15,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है. 2023 में यह आंकड़ा 1,000 करोड़ रुपये पर था.
भारत गोल्ड के बड़े बाजारों में से एक है. दुनिया में गोल्ड की कुल मांग का 17 प्रतिशत हिस्सा भारत से आता है. इसे ज्यादातर आयात के जरिए पूरा किया जाता है.
अग्रवाल ने आगे कहा कि मौजूदा समय में भारत में गोल्ड का उत्पादन 16 टन है, जो कि 2030 में 100 टन हो जाएगा. इससे आयात में काफी कमी देखने को मिल सकती है.
गोल्ड की आपूर्ति सालाना आधार पर 2.4 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2030 तक 1,000 टन होने की उम्मीद है, जो कि फिलहाल 857 टन है.
अग्रवाल ने आगे कहा कि घरेलू गोल्ड उत्पादन बढ़ने से अर्थव्यवस्था अधिक आत्मनिर्भर बनेगी. 2030 तक गोल्ड उत्पादन की जीडीपी में हिस्सेदारी 0.10 प्रतिशत की हो सकती है, जो कि फिलहाल 0.04 प्रतिशत है.
गोल्ड पर सरकार को मिलने वाला जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) बढ़कर 2030 तक 2,250 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है, जो कि मौजूदा समय में 300 करोड़ रुपये पर है.
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