मुंबई, 9 जुलाई . महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना उद्धव गुट अपनी पार्टी के विस्तार को लेकर जुट गए हैं. अब पुणे लोकसभा चुनाव हारने वाले पुराने वरिष्ठ शिवसैनिक वसंत मोरे की घर वापसी करवाई गई है.
कई साल पहले पार्टी छोड़ चुके 51 वर्षीय मोरे का पूर्व मुख्यमंत्री और एसएस (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, सांसद संजय राउत और अन्य नेताओं ने पार्टी में गर्मजोशी से स्वागत किया. मोरे ने कई साल पहले पार्टी छोड़ दी थी.
मोरे की कलाई पर प्रतीकात्मक ‘शिव बंधन’ धागा बांधते हुए और उन्हें पार्टी का झंडा सौंपते हुए ठाकरे ने कहा कि उन्हें पुणे में एक शक्तिशाली राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने की एक बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी.
ठाकरे ने कहा, ”उन्होंने कई पार्टियों में जाकर अनुभव प्राप्त किया है. लोकसभा चुनाव से पहले हम सब देख रहे थे कि मोरे क्या करेंगे. यह उनकी व्यक्तिगत पसंद होगी. अब हम उनका और उनके सभी समर्थकों का एसएस (यूबीटी) में स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे पुणे में पार्टी को मजबूत बनाएंगे.”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रदेश की गरिमा और लोगों के आत्मसम्मान की लड़ाई होगी और मोरे सहित सभी का योगदान महत्वपूर्ण होगा, इसलिए आगे बढ़ें और पुणे में पार्टी का निर्माण करें.
राउत ने कहा कि मोरे पूर्व शिव सैनिक हैं और अब अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पुणे और आसपास के इलाकों में पार्टी को मजबूत करेंगे.
पार्टी के अभिनंदन का जवाब देते हुए मोरे ने याद किया कि कैसे वह 16 साल की उम्र में शिवसेना में शामिल हुए थे और एचएससी पूरी करने के बाद वह पार्टी में एक युवा शाखा प्रमुख बन गए.
मोरे ने कहा, “मैं पार्टी में शामिल नहीं हो रहा हूं. यह मेरे लिए घर वापसी है. मैंने पार्टी के साथ अपना जीवन शुरू किया और फिर इसके साथ ही आगे बढ़ा. मैं 17 शाखा प्रमुखों, कई पूर्व पार्षदों और अपने कार्यकर्ताओं के बीच वापस आकर खुश हूं. हम सभी पुणे में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.”
2006 में मूल शिवसेना छोड़ने के बाद मोरे उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) में शामिल हो गए थे.
उन्होंने मनसे में विभिन्न पदों पर कार्य किया, तीन बार पुणे नगर निगम के पार्षद और बाद में शहर प्रमुख चुने गए. उन्होंने पुणे नगर निगम में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया.
लोकसभा 2024 के चुनाव से ठीक पहले मोरे ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग की थी, लेकिन मनसे ने उन्हें मैदान में उतारने से इनकार कर दिया, जिससे उन्हें मार्च में इस्तीफा देना पड़ा.
वह प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी में शामिल हो गए और उन्हें लोकसभा का टिकट दिया गया, लेकिन वे भाजपा के मुरलीधर मोहोल और कांग्रेस के रवींद्र धांगेकर से पीछे तीसरे स्थान पर रहे.
जाहिर तौर पर मोहभंग होने के बाद, मोरे ने एसएस (यूबीटी) में अपनी मूल जड़ों की ओर लौटने का फैसला किया, जिससे यह मुश्किल से पांच महीनों में उनकी तीसरी पार्टी बन गई.
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एमकेएस/