न्यूयॉर्क, 9 जुलाई (आईएनएस). संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम एचएलपीएफ के उद्घाटन के दौरान भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कई मुद्दों पर बात की.
योजना पटेल ने कहा कि हम ऐसे समय में मिले रहे हैं, जब दुनिया इस दर्दनाक सच्चाई का सामना कर रही है कि एसडीजी लक्ष्यों में से केवल 12 प्रतिशत ही अभी ट्रैक पर है. इसलिए 2030 एजेंडा और इसके लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने की तत्काल जरूरत है. भारत ने एसडीजी को अपनी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में पूरी तरह से शामिल किया है.
एसडीजी यानी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल भविष्य के अंतरराष्ट्रीय विकास संबंधित लक्ष्यों के सेट हैं. इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाया गया है और वैश्विक लक्ष्यों के समान प्रचारित किया गया है.
राजदूत योजना पटेल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एसडीजी के समाधान के लिए कई केंद्रित हस्तक्षेप भी शुरू किए गए हैं. भारत के प्रमुख राष्ट्रीय थिंक टैंक नीति आयोग एसडीजी को लागू करने में केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों दोनों का मार्गदर्शन कर रहा है. नीति आयोग ने एक गवर्निंग काउंसिल बनाई है, जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. वह एसडीजी की प्रगति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और इसकी समीक्षा राज्य सरकारों द्वारा भी की जाती है.
उन्होंने बताया कि नीति आयोग एसडीजी की प्रगति पर नजर रखने और महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करने के लिए विभिन्न सूचकांकों का भी इस्तेमाल करता है. भारत को अपने एसडीजी स्थानीयकरण मॉडल पर गर्व है, जो चार स्तंभों, संस्थागत स्वामित्व, सहयोगात्मक प्रतिस्पर्धा, क्षमता निर्माण और पूरे समाज के दृष्टिकोण पर आधारित है. भारत के मजबूत आर्थिक विकास सूचकांक प्रणालीगत सुधारों, समावेशी नीतियों और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लाभ से आते हैं.
उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा शुरू किया गया आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) 112 पिछड़े जिलों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है. एडीपी की सफलता ने आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम की शुरुआत की है. भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की इच्छा रखता है, जो हमारी स्वतंत्रता का 100वां वर्ष होगा. भारत सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और 2030 एजेंडा को साकार करने की वैश्विक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए हमेशा खड़ा है.
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फैजल/