नई दिल्ली, 7 जुलाई . भारतीय क्रिकेट के लीजेंड महेंद्र सिंह धोनी 7 जुलाई को 43 साल के हो चुके हैं. भारत को आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जिताने वाले कप्तान धोनी ने आईपीएल में भी चेन्नई सुपर किंग्स को पांच बार खिताब जिताया. धोनी के व्यक्तित्व और लीडरशिप के कमाल से कई खिलाड़ियों ने उनके अंडर में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. धोनी के जन्मदिन के मौके पर उनके करियर से सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि असल जीवन में भी काफी कुछ सीखा जा सकता है.
धोनी जिस तरह से दबाव के हालातों में खुद को शांत रखते हैं ये सबसे अहम चीज है. इस वजह से उनको ‘कैप्टन कूल’ कहा गया है जो अपनी भावनाओं को खुद के ऊपर हावी नहीं होने देते और हर हालत में ठंडे दिमाग के साथ अपना ध्यान भटकने नहीं देते. इसका प्रभाव निर्णय लेने की क्षमता पर भी पड़ता है. बेहद नाजुक मौकों पर धोनी के अहम फैसलों ने भारत को कई बड़ी जीत दिलाई हैं.
धोनी बोलने में कम और काम करने में ज्यादा यकीन रखते हैं. उन्होंने अपने करियर के उतार-चढ़ाव के मौकों पर हुई अपनी आलोचनाओं पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने काम पर फोकस रहे. धोनी उन चीजों से भी दूर देखे गए जो अक्सर ध्यान हटाने का काम कर सकती हैं, जैसे की सोशल मीडिया पर भारत के पूर्व कप्तान की उपस्थिति महज औपचारिक ही है. इसके बजाय वे अपने लक्ष्यों पर अधिक केंद्रित रहे हैं.
एक कप्तान के तौर पर धोनी निस्वार्थ रहे और टीम को हमेशा खुद से ऊपर आंकने की उनकी प्रतिबद्धता से काफी कुछ सीखा जा सकता है. उन्होंने खुद निचले क्रम पर बल्लेबाजी करके युवाओं को सीखने के मौके दिए जिससे एक मजबूत टीम बनने में काफी मदद मिली.
खेल की तरह जीवन में भी किस्मत का अहम रोल होता है. धोनी को करियर में मिली चमत्कारिक सफलता में उनके भाग्य को भी श्रेय दिया जाता रहा है लेकिन बगैर कठिन मेहनत के किस्मत भी साथ छोड़ देती है. मैदान पर धोनी के निर्णय तत्कालीन रणनीति और सहज बोध से प्रेरित रहे और उन्होंने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत बड़ी भूमिका अदा की. खेल के कई दिग्गजों का मानना है कि धोनी भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं.
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एएस/