डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित, भाजपा अध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली, 6 जुलाई . महान शिक्षाविद और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है. इस मौके पर दिल्ली में कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

इस मौके पर बीजेपी मुख्यालय में भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की. दिल्ली बीजेपी की तरफ से भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें कई सांसद और संघ से जुड़े वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था. उनके पिता आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे. डॉ. मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बीए की उपाधि प्राप्त की. 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गए और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे.

अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी कम उम्र में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की थी. 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने. इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे. एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गई.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने कृषक प्रजा पार्टी के साथ मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया. इस सरकार में वह वित्तमन्त्री बने. इसी दौरान वह सावरकर की राष्ट्रवादी सोच से खासे आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हो गए. उस दौर में मुस्लिम लीग बंगाल में अपना प्रभाव बढ़ा रहा था और वहां साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ गई थी.

ब्रिटिश सरकार फूट डालो और राज करो की नीति के तहत साम्प्रदायिक सोच वाले लोगों को प्रोत्साहित भी कर रही थी. ऐसी विषम परिस्थितियों में डॉ. मुखर्जी ने यह सुनिश्चित किया कि बंगाल के हिन्दुओं को नजरअंदाज न किया जाए और वो उपेक्षा का शिकार न हों. नतीजतन, उन्होंने अपनी विशिष्ट रणनीति से बंगाल विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया.

पीकेटी/केआर