बीआरएस नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने पर सुरजेवाला ने कहा, कमी वहां है

नई दिल्ली, 5 जुलाई . तेलंगाना में कई बीआरएस एमएलसी कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके बाद भारत राष्ट्र समिति ने राहुल गांधी पर सेंधमारी का आरोप लगाया. पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी क्या इसी तरह से संविधान बचाएंगे? इस पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस वार्ता कर स्पष्टीकरण दिया. 

रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “बीआरएस ने मोदी जी के साथ 10 साल मिलकर संविधान की धज्जियां उड़ाईं. उनके विधायक अब उन्हें छोड़कर भाग रहे हैं. वहां ना ही नीति बची है, ना नेता बचा, ना ही निष्ठा और ना ही पार्टी, ना रास्ता बचा है, और ना ही शायद अब व्यक्तित्व, तो अगर ऐसी स्थिति में उनके पार्टी से कोई स्वेच्छा से त्यागपत्र दे रहा है, तो इसमें कांग्रेस पार्टी का क्या कसूर. मुझे लगता है कि बीआरएस को पहले अपने घर में झांककर देखने की जरूरत है. कमी वहां है, कमी हमारे यहां नहीं है.“

बीआरएस विधायकों द्वारा कांग्रेस का दामन थामना क्या दोहरा पैमाना नहीं है? इस सवाल पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “बीआरएस राज्य से लेकर केंद्र तक संविधान पर कुठाराघात करती आई है. बीआरएस ने जिस तरह से संविधान में निर्धारित किए गए नियमों की धज्जियां उड़ाई, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. बीते दिनों बीआरएस कई विवादों में रही. वहीं बीजेपी के दोहरे पैमाने से तो कोई हर वाकिफ है कि कैसे उसने अपने सभी गठबंधन के साथियों की हालत पस्त की. बीआरएस की सबसे मूल समस्या यह है कि वो अपने पथ से दिग्भ्रमित हो चुकी है. जिन सिद्धांतों को देखते हुए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की पहल पर बीआरएस की नींव रखी गई थी, उन सिद्धांतों से यह पार्टी अब भटक चुकी है और यह उसी का नतीजा है कि लोगों का भरोसा अब इस पर से हट रहा है. लिहाजा बीआरएस के सर्वेसर्वा से यही गुजारिश करूंगा कि वो अपने घर की समस्याओं को सुनें और उनका निराकरण करने की योजना बनाएं, ताकि जो स्थिति आज उन्हें देखने को मिल रही है, वो आगे ना देखने को मिले. आपने अब तक तानाशाही और अलोकतांत्रित तरीके से शासन किया, जिससे अब लोग आजिज हो चुके हैं. इसलिए मैं बीआरएस के कर्ताधर्ताओं से यही कहना चाहूंगा कि हम पर दोष लगाने की जगह खुद आत्मचिंतन करें.“

बता दें कि गुरुवार देर रात भारत राष्ट्र समिति के विधान परिषद के 6 सदस्य सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके बाद सूबे की राजनीतिक हलचल तेज हो गई.

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