नई दिल्ली, 5 जुलाई . एक शोध में कहा गया है कि स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नामक पर्यावरणीय बैक्टीरिया फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस इंफेक्शन पैदा कर सकता है. पिछले 200 वर्षों में यह इंफेक्शन तेजी से विकसित हुआ है और फिर विश्व स्तर पर फैल गया है.
ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की टीम ने कहा कि मानव व्यवहार में परिवर्तन के कारण दुनिया भर में प्रति वर्ष 5,00,000 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को महामारी बनने में मदद मिली, जिनमें से 3,00,000 से अधिक मौतें रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस) से जुड़े हैं.
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), धूम्रपान से होने वाली फेफड़ों की क्षति, सिस्टिक फाइब्रोसिस (सीएफ) और नॉन-सीएफ ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों से पीड़ित लोग विशेष रूप से बैक्टीरिया के प्रति संवेदनशील होते हैं. पाया गया कि यह बैक्टीरिया सिस्टिक फाइब्रोसिस के रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से उन्हें प्रभावित करता है.
स्यूडोमोनास एरुगिनोसा एक पर्यावरणीय जीव से इंसान में कैसे आया, इसकी जांच करने के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के संक्रमित व्यक्तियों, पशुओं और पर्यावरण से लिए गए लगभग 10,000 नमूनों के डीएनए डेटा की जांच की.
साइंस जर्नल में प्रकाशित उनके परिणामों से पता चला कि लगभग 10 में से सात संक्रमण केवल 21 आनुवंशिक क्लोन या पीढ़ी दर पीढ़ी होता है. ये पिछले 200 वर्षों में तेजी से विकसित हुआ और पूरी दुनिया में फैल गया.
यह बैक्टीरिया मुख्य तौर पर तब फैला जब लोग घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने लगे, जहां वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े अधिक संवेदनशील हो गए.
सिस्टिक फाइब्रोसिस रोगियों के बीच फैलने के अलावा यह अन्य रोगियों में भी आसानी से फैल सकता है.
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में यूके सिस्टिक फाइब्रोसिस इनोवेशन हब के निदेशक प्रोफेसर एंड्रेस फ्लोटो ने कहा, ”स्यूडोमोनास एरुगिनोसा पर किए गए अध्ययन ने हमें सिस्टिक फाइब्रोसिस के जीव विज्ञान के बारे में नई बातें सिखाई हैं, साथ ही महत्वपूर्ण तरीके बताए हैं जिनसे हम संभावित रूप से अन्य स्थितियों में हमलावर बैक्टीरिया के खिलाफ अपना इम्यून सिस्टम मजबूत कर सकते हैं.
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