नई दिल्ली, 5 जुलाई . वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया है कि शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के पीछे एक एक बड़े बिजनेसमैन का हाथ था, जिसका चीन से लिंक था. इसी रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर गिर गए थे.
सोशल मीडिया एक्स पर एक लंबी पोस्ट में, जेठमलानी ने दावा किया कि अमेरिकी कारोबारी मार्क किंगडन ने अदाणी समूह पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए हिंडनबर्ग को काम पर रखा था.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “हिंडनबर्ग द्वारा अदाणी शेयरों की शॉर्ट सेल के घिनौने मामले में यह एक बड़ा खुलासा है.”
जेठमलानी ने आगे कहा, “जो लोग चीनी जासूस अनला चेंग के बारे में जानना चाहते हैं, उनके बारे में बताएं कि उन्होंने अपने पति मार्क किंगडन के साथ मिलकर अदाणी पर एक रिसर्च रिपोर्ट के लिए हिंडनबर्ग को काम पर रखा था, और अदाणी के शेयरों को बेचने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट की सुविधा के लिए कोटक की सेवाएं ली थीं.”
वरिष्ठ वकील ने आरोप लगाया, “उन्होंने अपनी शॉर्ट सेलिंग से लाखों डॉलर कमाए; जिसने अदाणी के मार्केट कैप को काफी हद तक नष्ट कर दिया. इन लोगों ने भारतीय खुदरा निवेशकों के बारे में कोई विचार नहीं किया. यह सब कुछ चीनी रणनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए किया गया. अपने नापाक इरादे से रिटेल इनवेस्टर को तबाह करने की कोशिश की…”.
किंगडन ने कोटक की अंतरराष्ट्रीय निवेश शाखा कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (केएमआईएल) से भी संपर्क किया. इसके बाद एक ऑफशोर फंड के साथ-साथ अदाणी शेयरों में व्यापार के लिए ऑफशोर खाते भी खोले गए. इसके चलते कोटक इंडिया ऑपर्च्युनिटी फंड (केआईओएफ) का निर्माण हुआ.
इससे पहले भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हिंडनबर्ग रिसर्च, नाथन एंडरसन और मॉरीशस स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) किंगडन की संस्थाओं को अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों में व्यापार उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
बाजार नियामक की जांच में यह भी पता चला है कि कोटक महिंद्रा और हिंडेनबर्ग ने अदाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए मिलकर साजिश रची.
जेठमलानी ने अपने पोस्ट में जिस “स्मोकिंग गन” का उल्लेख किया है कि वह किंगडन की पत्नी अनला चेंग है, जो एक चीनी-अमेरिकी हैं, जिनकी किंगडन मास्टर फंड में बड़ी हिस्सेदारी है और अमेरिका में चीनी हितों के लिए लॉबिंग करती हैं.
जेठमलानी ने दावा किया है कि अदाणी समूह दुनिया के कई हिस्सों में निवेश कर रहा है जिसमें इजरायल में हाइफा बंदरगाह और श्रीलंका के जाफना के पास कोयला परियोजनाओं में निवेश शामिल है. इसी को रोकने के लिए चेंग और किंगडन ने पूरी साजिश रची.
जेठमलानी ने तीन प्रमुख सवाल भी उठाए. उन्होंने पूछा, “किंगडन को केएमआईएल से किसने परिचित कराया, किंगडन के संबंध में केएमआईएल ने क्या जांच-पड़ताल की और क्या उसने प्रमुख के रूप में शॉर्ट सेल में भाग लिया था.”
दूसरा सवाल यह कि क्या हिंडनबर्ग की मदद करने वाले सभी भारतीय लोगों, संगठनों और संस्थाओं को शॉर्ट-सेलिंग के बारे में पता था और क्या उन्हें इससे कोई फायदा हुआ. जेठमलानी ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए विशेष रूप से राजनेताओं का उल्लेख किया, जिन्होंने कई मौकों पर अदाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे का इस्तेमाल समूह और सरकार को निशाना बनाने के लिए किया है.
जेठमलानी ने यह भी पूछा कि क्या इन लोगों और संस्थाओं को चीनी लिंक के बारे में पता था.
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि बाजार नियामक सेबी ने “हम पर अधिकार क्षेत्र का दावा करने के लिए खुद को उलझा लिया है, लेकिन इसके नोटिस में स्पष्ट रूप से उस पार्टी का नाम नहीं बताया गया है जिसका भारत से वास्तविक संबंध है: कोटक बैंक — भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक, जिसकी स्थापना उदय कोटक ने की थी, जिसने हमारे निवेशक साझेदार द्वारा अदाणी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड ढांचे का निर्माण और देखरेख की थी”.
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि समूह ने “केवल के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का नाम रखा और ‘कोटक’ नाम को ‘केएमआईएल’ के संक्षिप्त नाम से छुपा दिया”.
कोटक महिंद्रा बैंक की एक इकाई कोटक महिंद्रा (इंटरनेशनल) लिमिटेड ने जवाब दिया है कि हिंडनबर्ग कभी भी समूह के के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड (केआईओएफ) और कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (केएमआईएल) का क्लाएंट नहीं था.
–
/