नई दिल्ली, 3 जुलाई . इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की ओर से मांग की गई है कि आने वाले बजट में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को सहारा देने के लिए इनपुट पर टैरिफ को कम करना चाहिए. इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री द्वारा यह सुझाव ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) को भारत में आकर्षित करने के लिए दिए गए हैं.
यह सुझाव सात देशों में स्मार्टफोन के इनपुट की ‘टैरिफ स्टडी’ के आधार पर दिए गए हैं. भारत में इनपुट टैरिफ मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) के लिए 7.4 प्रतिशत है, जो कि चीन में प्रभावी तरीके से शून्य है और वियतनाम में 0.7 प्रतिशत है.
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि मोबाइल फोन प्रोडक्शन और निर्यात में तेज वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए चीन और वियतनाम के साथ प्रतिस्पर्धी टैरिफ रिजीम का मिलान करना जरूरी है.
महेंद्रू ने आगे कहा कि मौजूदा समय में हाई टैरिफ होने के कारण भारत में मैन्युफैक्चरिंग लागत 7 से 7.5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इससे इकोसिस्टम के विकास, निर्यात और नए रोजगार के अवसर पैदा होने पर नकारात्मक असर होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के मोबाइल सेक्टर के सात टैरिफ स्लैब को 2025 तक घटाकर 3+1 कर देना चाहिए. इसमें 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 15 प्रतिशत स्लैब को रखना चाहिए. प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए), चार्जर एडाप्टर और मोबाइल फोन पर दर को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने और माइक/रिसीवर पर दर को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने से मौजूदा घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर कोई असर नहीं होगा.
वित्त वर्ष 24 में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट 115 अरब डॉलर रहा था. इसमें से 29.1 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात हुआ था. इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में 54 प्रतिशत हिस्सेदारी मोबाइल फोन की थी. वित्त वर्ष 24 में भारत का मोबाइल फोन प्रोडक्शन 51 अरब डॉलर रहा है.
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एबीएस/एबीएम