विवाद के बाद तेलंगाना में कांग्रेस दलबदल पर लगा सकती है विराम

हैदराबाद, 26 जून . एक बीआरएस विधायक के दलबदल से उपजे विवाद के बाद तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस अब इस पर कुछ दिनों के लिए विराम लगा सकती है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता टी जीवन रेड्डी ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक एम. संजय कुमार को पार्टी में शामिल करने पर खुले तौर पर अपनी नाराजगी जताई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और उनके वफादारों को और अधिक बीआरएस विधायकों को लुभाने की अपनी योजना को स्थगित करना पड़ सकता है.

जीवन रेड्डी ने विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के पद से इस्तीफा देने तक की धमकी दी है. उनके समर्थकों के युद्धपथ पर जाने के बाद, केंद्रीय नेतृत्व ने इस घटनाक्रम पर ध्यान दिया है.

उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क समेत राज्य के कई नेता जीवन रेड्डी को मनाने में असफल रहे. इसके बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली तलब किया है.

एआईसीसी प्रभारी दीपा दासमुंशी ने जीवन रेड्डी को दिल्ली पहुंचने को कहा है. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पहले से ही दिल्ली में हैं.

केंद्रीय नेतृत्व रेवंत रेड्डी से कह सकता है कि वे दलबदल कराने में आक्रामक रुख ना अपनाएं. इससे पार्टी के भीतर और अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री और उनके वफादारों ने बीआरएस विधायकों को सत्तारूढ़ खेमे में लाने की कोशिश और तेज कर दी है.

दिसंबर 2023 में 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटों के साथ राज्य में सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस ने तीन बीआरएस विधायकों, बीआरएस महासचिव और राज्यसभा सदस्य के. केशव राव तथा उनकी बेटी एवं ग्रेटर हैदराबाद की मेयर गडवाल विजयलक्ष्मी समेत कई प्रमुख नेताओं को अपने पाले में खींचा. बीआरएस के चार सांसद उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस के प्रति निष्ठा बदल ली थी.

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कुछ कांग्रेस नेताओं ने भविष्यवाणी की थी कि चुनाव के बाद बीआरएस पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.

सड़क एवं भवन मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने यहां तक ​​दावा किया था कि बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव, उनके बेटे केटी रामा राव और भतीजे टी हरीश राव को छोड़कर सभी बीआरएस विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे.

बीआरएस नेतृत्व उस समय हैरान रह गया जब मुख्यमंत्री 21 जून को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी के घर पहुंचे और उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का निमंत्रण दिया.

श्रीनिवास रेड्डी ने तुरंत निमंत्रण स्वीकार कर लिया. अचानक हुए घटनाक्रम से घबराए कुछ बीआरएस नेता श्रीनिवास रेड्डी के घर पहुंचे और अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. नवंबर 2023 के चुनाव में श्रीनिवास रेड्डी लगातार पांचवीं बार निजामाबाद जिले की बांसवाड़ा सीट से विधानसभा के लिए चुने गए.

इससे पहले कि बीआरएस श्रीनिवास रेड्डी को खोने के सदमे से उबर पाती, जगतियाल से बीआरएस विधायक एम संजय कुमार 23 जून की रात को कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद वह कांग्रेस में शामिल होने वाले पांचवें बीआरएस विधायक थे.

नवंबर 2023 के चुनाव में, बीआरएस ने 119 सदस्यीय विधानसभा में 39 सीटें जीती थीं. अब इसकी ताकत घटकर 33 रह गई है.

सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस से हुए नये दल-बदल से उत्साहित है. इसे भाजपा का मुकाबला करने के कदम के रूप में भी देखा गया, जिसने लोकसभा में अपनी संख्या दोगुनी कर आठ सीटें हासिल कर ली.

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