मुंबई, 26 जून . भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक खेलों में हमेशा फैंस की उम्मीदों के बोझ के साथ मैदान में उतरती है. इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत के पास मौका है पिछले चार दशक के स्वर्ण पदक के सूखे को खत्म करने का.
भारतीय हॉकी टीम के पास आठ स्वर्ण पदकों की विशाल विरासत है.
टोक्यो ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद से पुरुष टीम से उम्मीदें कई गुना बढ़ गई हैं.
अब प्रशंसक न केवल भारतीय टीम से एक और पदक जीतने की उम्मीद करते हैं, बल्कि यह भी चाहते हैं कि यह स्वर्ण या रजत हो.
पेरिस में भारत एक चुनौतीपूर्ण ग्रुप में है, जिसमें गत चैंपियन बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, न्यूजीलैंड और आयरलैंड जैसी टीमें है. इसलिए टीम का पहला लक्ष्य शीर्ष चार में रहना और क्वार्टर फाइनल में जगह बनाना होगा.
ओलंपिक खेलों में लगभग एक महीने का समय बचा है, ऐसे में ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम की तैयारियों और पेरिस में उनकी संभावनाओं का जायजा लेने के लिए पूर्व भारतीय खिलाड़ी और कोच जोकिम कार्वाल्हो से बात की.
साक्षात्कार की मुख्य बातें:
प्रश्न: 2024 ओलंपिक अब लगभग 30 दिन दूर है, पेरिस में भारत की संभावनाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं?
उत्तर: हमेशा की तरह, भारत ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी और हॉलैंड जैसी टीमों के साथ पसंदीदा टीमों में से एक के रूप में जाता है. लेकिन साथ ही, मैं अन्य टीमों की संभावनाओं को भी नकार नहीं सकता.
आज, हॉकी का इतना विकास हो चुका है कि ओलंपिक में भाग लेने वाली सभी टीमों के पास पोडियम फिनिश करने का मौका है. मगर दावेदार हमेशा की तरह बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, भारत, जर्मनी और हॉलैंड होंगे. मैं उन्हें अंतिम चार में जगह बनाते देखना चाहूंगा.
मैं स्पेन और फ्रांस को भी कम नहीं आंकूगा. पिछले 2-3 साल में इन टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया है. इसलिए, वो इस महाकुंभ में डार्क हॉर्स हैं.
प्रश्न: आप भारतीय टीम की तैयारियों को कैसे देखते हैं?
उत्तर: भारत ने वह सारी तैयारियां की हैं, जिसकी उन्हें जरूरत थी. वे ऑस्ट्रेलिया में एक सीरीज खेलने गए थे. जहां उन्हें 5-0 से हार झेलनी पड़ी, जो एक अच्छा परिणाम नहीं है और न ही अच्छी तैयारी.
भले ही कोच क्रेग फुल्टन कह रहे थे कि वे अपनी सभी ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण करने जा रहे हैं. लेकिन भारत जैसी शीर्ष टीम से यह उम्मीद नहीं थी, जो अच्छा प्रदर्शन कर रही है. हमने हमेशा देखा है कि ऑस्ट्रेलिया को हराना बहुत मुश्किल है. लेकिन 5-0 से हारना काफी निराशाजनक है.
हमारी गलती यह है कि हम मैच की बहुत धीमी शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे मुकाबले में पिछड़ जाते हैं. हम शुरुआती गोल खाने के बाद फिर वापसी करते हैं और स्कोर बराबर करने की कोशिश में लग जाते हैं, और अंत में मैच गंवा देते हैं.
मुझे लगता है कि हमें ये सोच बदलनी होगी और इसे ठीक किया जाना चाहिए. हमारी प्रक्रिया या ओलंपिक पदक की हमारी खोज में इसे अनदेखा नहीं कर सकते.
प्रश्न: टोक्यो ओलंपिक में टीम ने कांस्य पदक जीता है, इसलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं कि वे पेरिस में पदक के रंग में सुधार करे. ये उम्मीदें कितनी सही है? खिलाड़ियों के लिए इस दबाव को झेलना कितना मुश्किल होगा?
उत्तर: पदक जीतने के बाद हमेशा उम्मीदें बहुत ज्यादा होती हैं. लेकिन जैसा कि मैंने कहा, आज की हॉकी में, दुनिया में इतनी सारी टीमें हैं कि यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि आपको पदक ज़रूर मिलेगा. मैं कहूंगा कि भारतीय टीम में निरंतरता की कमी है. जहां तक दूसरी टीमों की बात है, तो उन्होंने क्या किया और कैसे तैयारी की, इस पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि नतीजों को देखते हुए, वे सही समय पर शीर्ष पर पहुंचती हैं. अगर आप देखें, तो प्रो लीग में भी उनका प्रदर्शन भारतीय टीम के प्रदर्शन की तुलना में बहुत अच्छा रहा है.
प्रश्न: प्रो लीग ने डिफेंस को चिंता का विषय बना दिया है, जबकि गोल स्कोरिंग भी एक समस्या है. आपको क्या लगता है कि टीम को किन अन्य क्षेत्रों में काम करने की ज़रूरत है?
उत्तर: देखिए, मैंने कहा था कि हमें महत्वपूर्ण क्षणों में गोल खाने से बचना चाहिए. हम शुरुआती गोल खा रहे हैं. खेल शुरू हुआ और आपने एक गोल खा लिया. प्रो लीग में, हमने शुरुआत में ही गोल खा लिए. और यह आपको पीछे धकेल देता है और फिर आपको बराबरी हासिल करने के लिए वापस लड़ना पड़ता है.
डिफेंस भी काफी ढीला रहा है. मैं कहूंगा कि कप्तान हरमनप्रीत सिंह वह नहीं रहे जो हरमनप्रीत कुछ साल पहले थे.
प्रश्न: टीम को और क्या करने की ज़रूरत है?
उत्तर: उन्हें अपनी कमजोरियों और मजबूत पक्षों पर काम करना चाहिए और ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए, न्यूज़ीलैंड के साथ पहला मैच काफी मुश्किल होने वाला है.
न्यूज़ीलैंड को हल्के में नहीं लिया जा सकता, उनके पास दो बहुत ही वरिष्ठ खिलाड़ी हैं, जिनमें से एक साइमन चाइल्ड हैं. मुझे लगता है कि वह अपना चौथा ओलंपिक खेल रहे हैं. हमें ध्यान रखना होगा कि ओलंपिक में हर कोई जीतने के लिए आता है और यह पूरी तरह से अलग खेल है.
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एएमजे/