नई दिल्ली, 23 जून . नेशनल टेस्टिंग एजेंसी(एनटीए) की ओर से आयोजित ‘नीट’ के कथित पेपर लीक मामले को लेकर देश भर में विवाद छिड़ा हुआ है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है. परीक्षा में शामिल तमाम छात्र इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं. परिदृश्य अभी साफ नहीं है. इसके चलते अभ्यर्थियों में अपने भविष्य को लेकर संशय बना हुआ है. मामले में ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मीडिया हेड आशुतोष से बात की और उनके विचार जानें.
सवाल : नीट पेपर लीक मामले में आपका क्या कहना है.
जवाब : एबीवीपी शुरू से ही मामले में सीबीआई जांच की मांग करती आ रही है. अपनी मांग को लेकर हमने परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद 9 जून को सूरत में और 10 जून को देश भर में प्रदर्शन किया था. हमारी मांग है कि मामले की सीबीआई जांच कराई जाए और उसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाए. पेपर लीक से जहां छात्रों को भविष्य संकट में पड़ गया है, वहीं व्यवस्था के प्रति लोगों को भरोसा भी कम हुआ है.
सवाल : क्या पेपर लीक की घटनाओं से एनटीए की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है.
जवाब : एक माह में पेपर लीक की तीन घटनाओं से एनटीए की विश्वसनीयता रसातल में पहुंच गई है, खत्म हो गई है. शिक्षा मंत्रालय को व्यवस्था के प्रति छात्रों का विश्वास बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए. मामले में एनटीए के वर्तमान व पूर्व अधिकारियों की जांच कराई जानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर उनेक खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. सरकार को एक उदाहरण पेश करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई पेपर लीक कराने और परीक्षा की पवित्रता को भंग करने का प्रयास न करे. कथित पेपर लीक में एनटीए के अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है.
सवाल : बार-बार हो रहे पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए क्या एनटीए को भंग कर देना चाहिए.
जवाब : अभी इसके बारे मेें कुछ कहना जल्दबाजी होगी. एनटीए को भंग करनेे की जगह इसे कुशल व प्रभावी बनाने पर विचार करना चाहिए. शिक्षा मंत्रालय को एनटीए के अक्षम व भ्रष्ट अधिकारियों को हटाकर उनकी जगह योग्य व ईमानदार अधिकारियों की तैनाती करनी चाहिए. मंत्रालय को एजेंसी में ऐसेे अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए, जो छात्रों की भावनाओं को समझ सकें और उनकी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकें. व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए.
सवाल : क्या पेपर लीक के लिए शिक्षा मंत्रालय भी जिम्मेदार है.
जवाब : निश्चित रूप से इसके लिए केंद्र सरकार जवाबदेह है. शिक्षामंत्री ने मामले की जांच कराने के लिए कमेटी के गठन की घोेषणा की है. कमेटी को सभी पहलुओं पर विचार कर रिपोर्ट देना चाहिए. इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को व्यवस्था को और कुशल व प्रभावी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए. पेशेेवर व ईमानदार लोगों को सिस्टम में लाया जाना चाहिए. सरकार ने अब नकल विरोधी कानून भी लागू कर दिया है. इस कानून के अनुसार कार्रवाई कर दोषियों को सख्त सजा दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई सिस्टम से खिलावाड़ न कर सके और छात्रों को करियर न प्रभावित हो.
सवाल : क्या नीट की काउंसिलिंग कराई जानी चाहिए.
जवाब : फिलहाल मामले की जांच कराकर छात्रों व उनके अभिभावकों की शंका दूर करनी चाहिए. जब तक लोगों को भरोसा नहीं बहाल होता, तब तक काउंसिलिंग कराए जानेे रोक लगाना चाहिए. जांच रिपोर्ट आने और लोगों की शंका दूर होने पर ही आगे बढ़ना चाहिए.
सवाल : एबीवीपी का अब अगला कदम क्या होगा.
जवाब : मामला सामने आनेे के बाद एबीवीपी के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी और उनसे छात्रों को इंसाफ दिलाने की मांग की थी. शिक्षामंत्री ने मामले में उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है. इसलिए मामले में गठित कमेटी की रिपोर्ट और सरकार की कार्रवाई का इंतजार है. इसके बाद ही एबीवीपी अगलेे की तरफ बढ़ेगी.
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