मुंबई, 20 जून . वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में भारत के प्रयासों की सराहना की है. साथ ही कहा है कि जिस समय दुनिया में इनोवेशन में वृद्धि की रफ्तार धीमी हो गई, उस दौरान भारत और चीन जैसे देश नए एनर्जी सॉल्यूशंस और टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं. इनके परिणामों को अन्य देश भी दोहरा सकते हैं.
हाल ही जारी हुई डब्ल्यूईएफ ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स में भारत की 63वीं रैंक रही है. इस लिस्ट में स्वीडन शीर्ष पर था. इसके बाद डेनमार्क फिनलैंड, स्विट्जरलैंड और फ्रांस शीर्ष पांच में शामिल हैं. चीन की इस लिस्ट में रैंक 20 है.
डब्ल्यूईएफ की ओर से रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील एशिया में बड़ी जनसंख्या वाले देश जैसे चीन और भारत ने एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स (ईटीआई) स्कोर में पिछले एक दशक में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. भारत और चीन और ब्राजील जैसे कुछ अन्य विकासशील देशों द्वारा दिखाया गया सुधार महत्वपूर्ण है क्योंकि 83 प्रतिशत देश एनर्जी सिस्टम परफॉर्मेंस के तीन आयामों – सुरक्षा, समानता और स्थिरता में से कम से कम एक में पिछले साल में पीछे चले गए हैं.
डब्ल्यूईएफ की ओर से भारत द्वारा क्लीन एनर्जी में किए गए काम को हाइलाइट किया गया, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी और बायोमास बिजली उत्पादन क्षमता का 42 प्रतिशत है, जो इस दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिन्यूएबल मार्केट बनाता है.
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए करीब 10 अरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है. इसमें ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत और चीन अभी अपनी एनर्जी जरूरतों के लिए बड़ी मात्रा में कोयले पर निर्भर करते हैं.
डब्ल्यूईएफ ने आगे कहा कि भारत का फोकस एनर्जी के जरिए आय पैदा करने पर है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स का सही तरीके से इस्तेमाल कर माइक्रो इंटरप्राइजेज को समर्थन दिया जा सके.
पिछले एक दशक में 120 में से 107 देशों ने एनर्जी ट्रांजिशन में बढ़त हासिल की है. हालांकि, एनर्जी के बदलाव की गति धीमी है. इसके विभिन्न पहलुओं को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
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एबीएस/