भारतीय कंपनियां बदलाव के लिए अपना रही डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 जून . 90 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि डिजिटल और वर्चुअल ट्विन टेक्नोलॉजी ग्रोथ में मदद कर सकती है. सोमवार को आई एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया.

सरकार की ओर से ‘डिजिटल ट्विन’ टेक्नोलॉजी अपनाने को लेकर जोर दिया जा रहा है.

डसॉल्ट सिस्टम्स और नैसकॉम की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि प्रोडक्ट और प्रोसेस स्तर पर 45 प्रतिशत ‘वर्चुअल ट्विन’ अगले 12 से 45 महीनों में डिप्लॉय हो जाएंगे. भारत में ‘वर्चुअल ट्विन’ ग्रोथ में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इससे वैल्यू चेन को और अधिक किफायती बनाया जा सकता है.

भारत में 33 प्रतिशत वर्चुअल ट्विन इनिशिएटिव लाइफ साइंस की ओर से लिए जा रहे हैं. इसका अन्य इडस्ट्री में औसत 22 प्रतिशत है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 63 प्रतिशत कंपनियां वर्चुअल ट्विन को प्रोडक्ट और प्रोसेस स्तर पर डिप्लॉय कर रही हैं.

नैसकॉम के सीनियर वाइस प्रोसिडेंट और चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर, संगीता गुप्ता का कहना है कि बजट सीमित होने के कारण पूर्ण पैमाने पर इसका कार्यान्वन सीमित है. यह संपत्तियों और प्रोसेस पर ध्यान केंद्रित करके वृद्धि के अवसर उपलब्ध कराता है.

उन्होंने आगे कहा कि सॉफ्टवेयर पाने की बाधाओं को दूर करने, शीर्ष स्तर की प्रतिबद्धता बढ़ाने और इकोसिस्टम में तालमेल बैठाने से नए इनोवेशन को अनलॉक किया जा सकता है. इसके इंडस्ट्री को अधिक कुशल और भविष्य के लिए डिजिटली एकीकृत बनाया जा सकता है.

सरकार की ओर से ‘संगम : डिजिटल ट्विन’ इनिशिएटिव को लॉन्च किया जा चुका है. इसकी मदद से फिजिकल एसेट्स का डिजिटल अवतार क्रिएट किया जा सकता है. इसके साथ ही उनकी रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की जा सकती है. साथ ही वर्चुअल ही किसी समस्या का समाधान भी खोजा जा सकता है.

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (डीओटी) की ओर से कहा गया, “स्टार्टअप, एमएसएमई, शैक्षणिक, इनोवेटर्स और इंडस्ट्री के अग्रणी लोगों को इस पर प्री-रजिस्टर करना चाहिए और ‘संगम आउटरीच’ प्रोग्राम में भाग लेना चाहिए.”

एबीएस/एबीएम