धारावी पुनर्विकास परियोजना : मिथकों का खंडन बनाम वास्तविकता का खुलासा

मुंबई, 16 जून . धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के तहत अदाणी समूह को भूमि दिए जाने के उत्तर मध्य मुंबई की कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ के आरोप का खंडन किया गया है.

सूत्रों के अनुसार, कोई भी भूमि एसपीवी या अदाणी समूह को नहीं सौंपी जाएगी. इसे राज्य सरकार अपने विभाग, पुनर्विकास परियोजना/झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण (डीआरपी/एसआरए) को हस्तांतरित करेगी.

धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) विकास अधिकारों के बदले भूमि का भुगतान और मकान व व्यापारिक केंद्रों का निर्माण करेगी और सरकारी योजना के अनुसार इसे आवंटन के लिए महाराष्ट्र सरकार के डीआरपी को सौंप देगी.

निविदा का हिस्सा, राज्य समर्थन समझौता स्पष्ट रूप से बताता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने डीआरपी/एसआरए विभाग को भूमि प्रदान करेगी, यह उसका दायित्व है.

इस मुद्दे से जुड़े सभी मिथकों को खारिज करने वाले वास्तविक तथ्य इस प्रकार हैं:

आरोप है कि अदाणी समूह को सरकारी जमीन बहुत रियायती दर पर दी गई है.

वास्तविकता यह है कि रेलवे की जमीन डीआरपी को आवंटित की गई है, इसके लिए महाराष्ट्र सरकार और अदाणी समूह का संयुक्त उद्यम धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) ने केंद्र सरकार को मौजूदा बाजार दरों पर 170 प्रतिशत का भारी प्रीमियम दिया है.

निविदा के अनुसार, डीआरपीपीएल को डीआरपी/एसआरए को आवंटित सभी जमीनों के लिए सरकार द्वारा तय की जाने वाली दरों पर भुगतान करना होगा.

आरोप यह है कि जब धारावी में हर कोई इन-सीटू पुनर्वास चाहता है, तो मुंबई भर में अदाणी समूह को जमीन क्यों आवंटित की गई.

वास्तविकता यह है कि निविदा मानदंडों के अनुसार, धारावी का कोई भी निवासी विस्थापित नहीं होगा. 2018, 2022 के राज्य जीआर (सरकारी संकल्प) और निविदा की शर्तें स्पष्ट रूप से इन-सीटू पुनर्वास के लिए पात्रता बताती हैं.

1 जनवरी, 2000 को या उससे पहले से यहां रह रहे मकान मालिक, यथास्थान पुनर्वास के लिए पात्र होंगे.

जनवरी 2000 और 1 जनवरी, 2011 के बीच यहां रह रहे लोगों को धारावी के बाहर मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में कहीं भी पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) के तहत मात्र 2.5 लाख रुपये में या किराये के आवास के माध्यम से घर आवंटित किए जाएंगे.

1 जनवरी, 2011 के बाद, कट-ऑफ तिथि (सरकार द्वारा घोषित की जाने वाली) तक अस्तित्व में रहने वाले मकानों को राज्य सरकार की प्रस्तावित किफायती किराये के घर नीति के तहत किराए पर खरीद के विकल्प के साथ घर मिलेंगे.

आरोप है कि रेलवे की भूमि पर धारावी पुनर्विकास के नाम पर हरित आवरण को नष्ट किया जाना है.

लेकिन, वास्तविकता यह है कि पर्यावरण के अनुकूल विकास की परिकल्पना की गई है.

वनों की कटाई की परिकल्पना नहीं की गई है. इसके अलावा, कई हजार पेड़-पौधे और लगाए जाएंगे. अब तक, अदाणी समूह ने पूरे भारत में 4.4 मिलियन से अधिक पौधे लगाए हैं और एक ट्रिलियन पेड़-पौधे लगाने के लिए समूह प्रतिबद्ध है.

आरोप यह है कि कुर्ला मदर डेयरी की भूमि अदाणी समूह को आवंटित करने के लिए जीआर जारी करते समय राज्य सरकार द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

वास्तविकता यह है कि भूमि डीआरपी को आवंटित की जा रही है, न कि अदाणी समूह को.

जीआर जारी करने से पहले महाराष्ट्र भूमि राजस्व (सरकारी भूमि का निपटान) नियम, 1971 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया.

आरोप यह है कि एसपीवी में राज्य सरकार और अदाणी समूह के बीच 50:50 की भागीदारी होनी चाहिए.

वास्तविकता यह है कि निविदा में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि प्रमुख भागीदार 80 प्रतिशत इक्विटी लाएगा और शेष 20 प्रतिशत इक्विटी सरकार के पास रहेगी.

आरोप यह है कि सर्वेक्षण सरकार द्वारा किया जाना चाहिए, न कि अदाणी समूह द्वारा.

वास्तविकता यह है कि अन्य सभी एसआरए परियोजनाओं की तरह, महाराष्ट्र सरकार का डीआरपी/एसआरए तीसरे पक्ष के विशेषज्ञों के माध्यम से सर्वेक्षण कर रहा है और डीआरपीपीएल केवल इसके लिए सुविधा प्रदान कर रहा है.

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