बीजिंग, 12 जून . ‘चीन के शिनच्यांग का इतिहास और भविष्य’ अंतर्राष्ट्रीय मंच बुधवार को शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के काशगर शहर में आयोजित हुआ.
इसका उद्देश्य पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान के माध्यम से शिनच्यांग के इतिहास और मानविकी पर बहु-एकीकृत अनुसंधान को बढ़ावा देना और चीनी व विदेशी सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख को गहरा करना है.
मंच की मेजबानी चीनी केंद्रीय मिनत्सू विश्वविद्यालय, पेइचिंग विश्वविद्यालय और काशगर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई, शिनच्यांग विश्वविद्यालय और शिनच्यांग नॉर्मल यूनिवर्सिटी द्वारा सह-आयोजन किया गया.
मंच के दौरान कई मुख्य भाषण और गोलमेज़ मंच आयोजित होंगे, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, हंगरी, मिस्र, रूस, मंगोलिया, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान आदि देशों के 170 से अधिक विशेषज्ञ और विद्वान भाग ले रहे हैं. वे शिनच्यांग के पुरातत्व और चीनी राष्ट्र की विविधता व एकीकरण का पैटर्न, पश्चिमी रेशम मार्ग और पूर्वी व पश्चिमी सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख, शिनच्यांग के विकास और चीनी शैली के आधुनिकीकरण आदि विषयों पर चर्चा करेंगे.
पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मा रोंग के विचार में इस मंच में भाग लेने वाले विद्वान अपनी-अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और शोध दृष्टिकोण के आधार पर एक साथ शिनच्यांग और उसके इतिहास की समझ पर चर्चा करेंगे, शिनच्यांग की वर्तमान और भविष्य की विकास संभावनाओं को समझेंगे और खोजेंगे, जो कि बहुत सार्थक बात है.
मंच के आयोजन के बाद, विदेशी विशेषज्ञ और विद्वान काशगर में मोर मंदिर के अवशेष, काशगर प्राचीन शहर, च्याओ-ह प्राचीन नगर आदि स्थलों का दौरा भी करेंगे.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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