गोरखपुर, 12 जून . पर्यावरण संरक्षण के साथ पारंपरिक माटी शिल्प को उद्यमिता से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने माटी शिल्पकारों को लगातार सौगात देना जारी रखा है. बड़ी संख्या में माटीकला से जुड़े शिल्पकारों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर उनके हुनर और कार्यक्षमता को निखारा गया है.
माटी शिल्पकारों को इलेक्ट्रिक चाक और पगमिल प्रदान किए जाएंगे. माटीकला बोर्ड ने गोरखपुर में 35 शिल्पकारों को इलेक्ट्रिक चाक और समूह के जरिए 9 पगमिल वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
गोरखपुर के जिला ग्रामोद्योग अधिकारी एके. पाल ने बताया है कि माटीकला से जुड़े कामगारों और शिल्पकारों के लिए माटीकला बोर्ड ने एक बार फिर उन शिल्पकारों को इलेक्ट्रिक चाक और पगमिल देने का लक्ष्य तय किया है, जो अब तक हस्तचालित चाक पर काम कर रहे हैं. गोरखपुर में इस बार 35 इलेक्ट्रिक चाक और समूह बनाकर 9 पगमिल वितरित किए जाएंगे.
उन्होंने बताया कि माटीकला से जुड़े 18 से 55 वर्ष की उम्र तक के शिल्पकार इसके लिए माटीकला बोर्ड की वेबसाइट पर 25 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. ऑनलाइन सभी प्रपत्रों की हार्डकॉपी 25 जून तक विकास भवन के द्वितीय तल स्थित जिला ग्रामोद्योग कार्यालय में जमा करनी होगी. आवेदन के संबंध में और विस्तृत जानकारी के लिए जिला ग्रामोद्योग कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है.
बीते करीब सात सालों से मिट्टी के बने उत्पाद बाजार में खूब दिख और बिक रहे हैं. खानपान की दुकानों पर भी अब मिट्टी के कुल्हड़ और अन्य बर्तनों की जबरदस्त डिमांड बनी हुई है. इससे पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है. वहीं, मिट्टी के उत्पाद बनाने का पारंपरिक काम उद्यम की शक्ल लेता जा रहा है. सरकार का जोर टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस उद्यम को और बड़ा आकार देने पर है.
योगी सरकार ने गोरखपुर में मिट्टी के विशेष शिल्प वाले टेराकोटा को ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) में शामिल करके बड़ा बाजार भी उपलब्ध कराया. टेराकोटा से जुड़े शिल्पकारों को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक चाक और पगमिल (मिट्टी गूंथने की मशीन) उपलब्ध कराई गई. टेराकोटा के अलावा अन्य मिट्टी शिल्पकारों को भी माटीकला बोर्ड की तरफ से इलेक्ट्रिक चाक और पगमिल वितरित कराने का अभियान निरंतर जारी है.
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विकेटी/एबीएम