बेंगलुरु, 27 मई . हृदय रोग, पित्त पथरी और पेट के कैंसर से पीड़ित 44 वर्षीय एक व्यक्ति की बेंगलुरु के फोर्टिस अस्पताल में सफल सर्जरी की गई. यह ट्रिपल सर्जरी 7 घंटे तक चली.
मरीज कोप्पाराम पिछले तीन वर्षों से मधुमेह और हृदय रोग की समस्या से पीड़ित था. उसे सामान्य एनेस्थीसिया के तहत एक सत्र में कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, पित्ताशय की पथरी को हटाने और कोलन कैंसर सर्जरी की एक साथ तीन जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा.
पेट में लगातार दर्द होने के बाद मरीज को कनिंघम रोड स्थित फोर्टिस अस्पताल लाया गया. डॉक्टरों ने व्यक्ति का अल्ट्रासाउंड किया, जिसके बाद पित्त पथरी के बारे में पता चला.
आगे की जांच के बाद मरीज के बृहदान्त्र (कोलन) में कैंसर की वृद्धि देखी गई, जिससे कोप्पाराम के उपचार में महत्वपूर्ण चुनौती सामने आई. विशेष रूप से उनकी पहले से मौजूद हृदय की स्थिति के कारण डॉक्टरों को काफी परेशानी हुई.
डॉक्टरों ने कहा कि कोलन कैंसर की सर्जरी करने से पहले सीएबीजी करना महत्वपूर्ण था, ताकि यह जाना जा सके कि मरीज का दिल स्थिर है या नहीं.
डॉक्टरों ने कहा कि यदि कार्डियक सर्जरी पहले की गई होती, तो कोलन कैंसर सर्जरी के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड़ता. मगर ट्यूमर के बढ़ने के कारण इसमें देरी करना सही नहीं था.
हृदय की सर्जरी करने के लिए ऑफ-पंप कोरोनरी आर्टरी बाईपास (ओपीसीएबी) नामक एक विशेष सर्जिकल तकनीक का उपयोग किया, जिसमें चार ग्राफ्ट (रक्त वाहिकाएं, जिन्हें क्षतिग्रस्त लोगों की मरम्मत या बदलने के लिए रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है) के साथ किया गया.
फोर्टिस में कार्डियक साइंसेज के अध्यक्ष विवेक जवाली ने कहा, “पारंपरिक दृष्टिकोण के विपरीत, यह विधि हृदय-फेफड़े की मशीन की जरूरत खत्म कर देती है. हमने इसमें हृदय की सावधानीपूर्वक निगरानी की और सर्जरी के दौरान रक्तचाप और शर्करा के स्तर को सामान्य रखने के लिए दवाएं दीं.”
उन्होंने कहा, “हृदय में अवरुद्ध धमनियों के चारों ओर नए रास्ते बनाने के लिए हमने मरीज के शरीर से चार रक्त वाहिकाएं लीं. इससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद मिली.”
टीम ने कैंसर से प्रभावित कोलन के एक हिस्से को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक एक्सटेंडेड राइट हेमिकोलेक्टोमी के साथ-साथ पित्ताशय की पथरी को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी भी की.
फोर्टिस में जीआई मिनिमल एक्सेस और बेरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक गणेश शेनॉय ने कहा, ”इस जटिल प्रक्रिया के लिए सटीक समन्वय की जरूरत थी और इसने सर्जिकल जोखिमों को कम किया, साथ ही मरीज को तेजी से ठीक होने में मदद की.”
डॉक्टरों ने कहा कि सर्जरी के 15 दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह बिना किसी जटिलता के अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियां शुरू कर चुका है.
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एमकेएस/एसजीके