मुंबई, 24 मई . आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का चलन तेजी से बढ़ने के कारण 2026 तक भारत में अतिरिक्त 791 मेगावाट की डेटा सेंटर की क्षमता की आवश्यकता होगी. इसके लिए 10 मिलियन स्क्वायर फीट एरिया की मांग रियल एस्टेट सेक्टर में देखने को मिल सकती है.
यह करीब 5.7 अरब डॉलर का निवेश इस सेक्टर में आकर्षित कर सकता है. शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया.
जेएलएल रिसर्च की रिपोर्ट में बताया गया कि एआई का चलन तेजी से बढ़ रहा है. भारत में डेटा सेंटर की मांग 2024-26 तक 650 से लेकर 800 मेगावाट तक रह सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर के आकार के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. इसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान 20 प्रतिशत होगा.
जेएलएल इंडिया के आरईआईएस में मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान एवं प्रमुख, डॉ. सामंतक दास ने कहा कि 2026 तक भारत में डेटा सेंटर की मांग 1,645 मेगावाट तक रह सकती है, जो कि 2023 में 853 मेगावाट के करीब थी. इससे 10 मिलियन स्क्वायर फीट एरिया की मांग पैदा होगी, जोकि 5.7 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करेगी.
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत सरकार की ओर से एआई मिशन के तहत इनोवेशन, लोगों की स्किल बढ़ाने और एआई तकनीक के सही इस्तेमाल के लिए एआई मिशन भी लॉन्च किया गया है.
क्लाउड सेवा प्रदाता (सीएसपी), जो मुख्य रूप से इंटरनेट के माध्यम से पहुंच योग्य डेटा स्टोरेज और कंप्यूटिंग शक्ति के लिए आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम की पेशकश करते हैं, एआई की जुड़ी मांग को ध्यान में रखते हुए क्षमता को फिर से तैयार किया है.
जेएलएल इंडिया के डेटा सेंटर लीजिंग के एपीएसी लीड और डेटा सेंटर एडवाइजरी के हेड, रचित मोहन ने बताया कि एआई के आने से पावर प्रोसेसिंग और डेटा वॉल्यूम में काफी वृद्धि देखने को मिली है. इसके कारण एनर्जी, प्रोसेसिंग और कूलिंग की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नए डेटा सेंटर्स के विकास की आवश्यकता है.
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एबीएस/एबीएम