नई दिल्ली, 23 मई . दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में खराब स्वास्थ्य को देखते हुए एक वकील को बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को निर्देश दिया कि, वह इस बात का आकलन करेे कि वकील इस पेश में रहने के लायक है या नहीं.
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि पता नहीं क्यों वकील बहुत हताश था. वह पढ़ने-लिखने में भी असमर्थ था. उसमें दूरदर्शिता का भी अभाव दिखा. पीठ में न्यायमूर्ति मनोज जैन भी शामिल थे.
वकील के खराब स्वास्थ्य देखते हुए कोर्ट ने अदालत के प्रति दिखाए गए अनादर के लिए उस पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया. पीठ ने वकील को चेतावनी के साथ बरी कर दिया और भविष्य में अदालतों की मर्यादा बनाए रखने का निर्देश दिया.
अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल कहा कि वह यह आकलन करे कि वकील इस पेशे में बने रहने के लिए उपयुक्त है या नहीं.
गौरतलब है कि वकील ने 2021 में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत में चिल्लाते हुए अनौपचारिक भाषा का प्रयोग कर अदालती कार्यवाही को बाधित किया था.
मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने आश्रय मनोरोग क्लिनिक और पुनर्वास गृह, इहबास और एम्स के मेडिकल रिपोर्ट को अदालत में पेश किया और वकील के इलाज के बारे में जानकारी दी.
कोर्ट ने कहा कि एक वकील से अदालत की गरिमा बनाए रखने की उम्मीद की जाती है.
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