नई दिल्ली, 23 मई . दिल्ली हाई कोर्ट ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और ग्राहकों को ठगी से बचाने के लिए रीफर्बिश्ड हार्ड डिस्क की बिक्री के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं.
विभिन्न इकाइयों द्वारा अलग-अलग नाम से रीफर्बिश्ड हार्ड डिस्क ड्राइव (एचडीडी) की बिक्री के खिलाफ सिगेट टेक्नोलॉजी और वेस्टर्न डिजिटल टेक्नोलॉजीज द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह दिशा-निर्देश जारी किया है.
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा है कि रीफर्बिश्ड एचडीडी की पैकेजिंग पर मूल निर्माता का नाम इस तरह होना जरूरी है ताकि ग्राहकों को ऐसा न लगे कि वे नया उत्पाद खरीद रहे हैं.
अदालत ने कहा कि पैकेजिंग पर मूल कंपनी का नाम जैसे “सिगेट” या “डब्ल्यूडी” शब्द होने चाहिए, लेकिन इन कंपनियों के ऑरिजिनल लोगो का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
निर्देश में कहा गया है कि रीफर्बिश्ड एचडीडी से जुड़ी प्रचार सामग्रियों, वेबसाइटों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ब्राशर और मैन्युअलों पर भी यह सूचना देना अनिवार्य हैं.
इस मामले में प्रतिवादी कंपनियों दायची इंटरनेशनल, कंसिस्टेंट इनफोसिस्टम्स, जिओनिक्स इंटरनेशनल और क्यूबिकोर इनफॉर्मेशन सिस्टम्स पर पुरानी एचडीडी को रिफर्बिश कर एक्सटेंडेड वारंटी के साथ अपने ब्रांड नाम से बेचने का आरोप है.
सिगेट और वेस्टर्न डिजिटल ने अदालत को बताया कि इससे उनके ट्रेड मार्क एक्ट का उल्लंघन होता है. हालांकि अदालत ने पाया कि दोनों कंपनियां पुराने एचडीडी के भारत में आयात पर प्रतिबंध के संबंध में किसी नियम विशेष का उल्लेख नहीं कर सकीं.
हालांकि न्यायमूर्ति दयाल ने कहा कि रीफर्बिश करने वाली कंपनियां ग्राहकों के इस बारे में पूरी जानकारी दें कि मूल उत्पाद में बदलाव किये गये हैं और ये मूल उत्पाद से बिल्कुल मेल नहीं खाते.
अदालत ने अंतरिम राहत के वादियों के आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिये कि रीफर्बिश करने वाली कंपनियों द्वारा पूरी जानकारी देने से ग्राहत जागरुकता सुनिश्चित होगी और उन्हें ठगी से बचाया जा सकेगा.
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एकेजे/