नई दिल्ली, 20 मई . भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के नेतृत्व में किये गये उस हालिया अध्ययन को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोवैक्सिन ने स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है.
आईसीएमआर ने न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा है कि वह बीएचयू के लेखकों द्वारा हाल ही में प्रकाशित कोवैक्सिन साइड इफेक्ट्स अध्ययन को वापस ले ले क्योंकि पेपर में शीर्ष अनुसंधान निकाय का नाम “गलत और भ्रामक रूप से” दिया गया है.
शीर्ष अनुसंधान निकाय ने पत्र में लिखा, “आईसीएमआर इस अध्ययन से जुड़ा नहीं है और अनुसंधान के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान नहीं की है.”
इसमें आगे कहा गया, “इसके अलावा, आपने बिना किसी पूर्व मंजूरी या सूचना के कहा है कि आईसीएमआर ने अनुसंधान के लिए समर्थन दिया है, जो अनुचित और अस्वीकार्य है.”
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने पत्र में कहा कि शीर्ष अनुसंधान निकाय को इस खराब तरीके से किये गये अध्ययन से नहीं जोड़ा जा सकता है, जिसका उद्देश्य कोवैक्सिन का “सेफ्टी अनैलिसिस” गलत तरीके से प्रस्तुत करना है.
डॉ. बहल ने अध्ययन के लेखकों और जर्नल के संपादक से आईसीएमआर की सूचना को हटाने और शुद्धि-पत्र प्रकाशित करने के लिए कहा है.
डॉ. बहल ने लिखा, “हमने यह भी देखा है कि आपने बिना अनुमति के इसी तरह के पिछले पेपरों में भी आईसीएमआर का नाम दिया है.”
उन्होंने अध्यन के लेखकों से स्पष्टीकरण भी मांगा कि “आईसीएमआर को उनके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए”.
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पीके/एकेजे