संविधान का घोर अपमान करने वाले लोग आज संविधान सिर पर रखकर नाच रहे हैं : पीएम नरेंद्र मोदी (एनडीटीवी साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 19 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत की. प्रधानमंत्री मोदी ने एनडीटीवी को दिए विशेष साक्षात्कार में तमाम सवालों का विस्तार से जवाब दिया. एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने भारत के भविष्य की झलक दिखाई.

अपने साक्षात्कार में पीएम मोदी ने सरकार के विजन से लेकर चार जून के नतीजों के बाद भविष्य के भारत की भावी तस्वीर पर खुलकर बात की. इस लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने भाजपा के लिए ‘370 पार’ और एनडीए के लिए ‘400 पार’ का लक्ष्य रखा है.

पीएम मोदी से इस साक्षात्कार में पूछा गया कि विपक्ष कहता है कि आपने चुनाव को सांप्रदायिक रंग दे दिया है?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यही कह-कहकर उन्होंने अपनी राजनीति चलाई है और कभी-कभी हम भी सोचते थे कि हां चलो भाई संभल कर चलो. लेकिन मैं जब यहां बैठकर हर चीज को देखता हूं, तो पाता हूं कि इन्‍होंने संविधान का अपमान करने के सिवाए कुछ किया ही नहीं है. संविधान सर्वधर्म समभाव की बात कर रहा है. ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं. इनकी हर चीज का आधार सांप्रदायिक है. संप्रदाय में भी वोट बैंक की राजनीति है और संप्रदाय से भी बाहर जाना, तो फिर जाति. यानि एक तरफ संप्रदाय की वोट बैंक और एक तरफ जाति को उठाना. उन्होंने खेल यही किए हैं. अब मुझे लगता है कि कम्युनल का लेबल लगे तो लगे, मुझे जो कम्युनल कहना चाहता है कहे, इन लोगों के पापों को मैं उजाकर करके रहूंगा. एक्‍सपोज करके रहूंगा.

मैं घटनाओं के साथ बताता हूं कि इन्‍होंने ये नियम ऐसे बनाया था. मेरा मंत्र है- ‘सबका साथ, सबका विकास’, गांव के अंदर सौ घर हैं, जिनको बेनिफिट दिला दिया, फिर ये मत पूछो कि ये किस जाति का है, किस बिरादरी का है, किसका रिश्तेदार है, 100 घर मतलब मिलना चाहिए, तो मिलना चाहिए. इसलिए मेरी योजना है सैचुरेशन. हर स्कीम को लाभार्थियों को 100 परसेंट. जब मैं 100 परसेंट देता हूं ना तो सामाजिक न्‍याय है, जब मैं 100 परसेंट कहता हूं, तो वो सच्चा सेक्युलरिज्म है और किसी को फिर शिकायत का मौका नहीं रहता है. फिर उसको विश्वास रहता है कि इसको जून में मिल गया ना, दिसंबर आते-आते मुझे भी मिल जाएगा. मुझे किसी को भी एक रुपये देने की जरूरत नहीं है. इसके कारण गवर्नेंस पर भी भरोसा हो जाता है.

वहीं, विपक्ष का तरीका यह है कि किसी के लिए कुछ करना ही नहीं है. मैं भी कह सकता था कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देता हूं, ये इसको दूंगा और उसको नहीं दूंगा. लेकिन, मैं यह नहीं करूंगा, क्योंकि मुझे ‘सबका साथ, सबका विकास’ इसी मंत्र पर चलना है. उन्‍होंने वोट बैंक की राजनीति के लिए एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण पर भी डाका डाला हुआ है. इनकी नजर इसी पर ही है, ये वोट बैंक को कैसे देना है. वोट जिहाद को समर्थन कर रहे हैं. ये सारी चीजें सांप्रदायिक प्रवृत्तियां सेक्युलरिज्म का नकाब पहन कर रहे हैं. मुझे उनका ये ढोंगी सेक्युलरिज्म का नकाब देश के सामने उतारकर दिखाना है कि ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं. और, ये वो लोग हैं, जो अपनी सत्ता सुख के लिए देश को तोड़ सकते हैं और आपके हर सपने को तोड़ सकते हैं.

अब आप इनके मेनिफेस्‍टो में इनकी हिम्‍मत देखिए, ठेके, कॉन्‍ट्रैक्‍ट, ये कहते हैं कि धर्म के आधार पर दिये जाएंगे. अरे, अगर कोई ब्रिज बनाना है, तो इसकी एक्सपर्टाइज्ड किसके पास है, एक्‍सपीरियंस किसके पास है, रिसोर्स किसके पास हैं, टेक्‍निकल मैनपावर किसके पास है, ये देखना चाहिए. अब आप धर्म के आधार पर ठेके देंगे, तो वो ब्रिज क्या बनेगा, क्या होगा मेरे देश का?

पीएम मोदी ने विपक्ष में विरोधाभास के सवाल पर कहा कि, पहली बात है कि हमारा देश हो या दुनिया में कहीं भी इतना बड़ा देश आप जिसको देने जा रहे हो, उसको जानते हो क्या? उसका नाम पता है क्या? उसके अनुभव का पता है, उसकी क्षमताओं का पता है क्‍या, तो यह देश की जनता देखती है. कोई पार्टी अपना नाम बताए या ना बताए, वो तौलती है और हमारा पलड़ा बहुत भारी है और उसमें मुझे कहने की कोई जरूरत नहीं है, हमारा पलड़ा भारी है, ये बात हर कोई कहेगा.

दूसरा विषय है कि इंडी अलायंस का मुझे बता दीजिए फोटो-ऑप के सिवाए कोई गतिविधि दिखती है क्या? फोटो-ऑप में इंडी एलायंस की पहली मीटिंग में जितने चेहरे थे, जाते-जाते संख्या भी कम हो गई और क्वालिटी भी कम हो गई. यानी उसकी थर्ड कैटेगरी और फोर्थ कैटेगरी का नेता वहां जाता है और फोटो खिंचवाकर वापस आ जाता है. इनका कोई कॉमन एजेंडा है क्या? कैंपेन की कोई स्‍ट्रेटजी है क्या, कुछ नहीं है? हर कोई अपनी ढपली बजा रहा है. तो देश को इन पर विश्वास नहीं हो सकता है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस के सबसे विश्वसनीय साथी कौन हैं लेफ्ट, जिसके मन में कमिटमेंट है कि भाजपा वाले जाने चाहिए. उससे बड़ा कमिटमेंट तो कोई हो नहीं सकता है. इन्‍होंने जाकर केरल में उन्हीं को पराजित करने के लिए उनके सामने खुद खड़े हो गए. जो भाषा का प्रयोग हुआ है, केरल के चुनाव में, पूरे देश में ऐसी भद्दी भाषा कहीं उपयोग में नहीं आई है. मुख्यमंत्री तक के लोगों ने जिस तरह से कांग्रेस के बारे में बोला है. ये अलायंस के लोगों की मैं बात कर रहा हूं. ये बात फिक्स हो गई है कि ये सारे नेता हैं, ज्यादातर जमानत पर हैं. इंडी अलायंस के सारे नेता जमानत पर हैं. और, वो सभी उनके जमाने के केस हैं. हमारे जमाने के केस नहीं हैं. मामले उनके जमाने के हैं.

तीसरी बात है कि इन सभी को आप बिठाओगे, तो लगेगा कि ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है या ये इसका बाप, ये इसका बाप यानी ऐसा साफ लगता है कि वो अपने बच्चों को सेट करने के लिए इंडी अलायंस को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. देश के बच्‍चों का भविष्‍य नजर ही नहीं आता उनको. जब ऐसा होता है, तो मैं नहीं मानता हूं कि वो देश के लोगों का विश्वास जीत सकते हैं. दूसरी ओर हमारा 10 साल का मजबूत सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है. चाहे आतंकवाद के खिलाफ हमारा काम हो, चाहे देश की सुरक्षा के विषय में हमारा काम हो, चाहे विकास के मुद्दे पर काम हो, चाहे विदेश नीति के विषय पर काम हो, चाहे संकट के समय हमारे प्रयास हों, मैं समझता हूं कि देश की जनता इन सारी चीजों को देखती है और उसको तौलती है. इसलिए देश की सामान्‍य मानवी ने मन बना लिया है कि भारत को बहुत आगे ले जाना है, तो भारतीय जनता पार्टी और एनडीए एक विश्‍वस्‍त संगठन है. विश्‍वस्‍त लीडरशिप है और जिसको हम जानते हैं, जिसका हम ट्रायल ले चुके हैं, जिसको हम नाप चुके हैं, इसलिए उनको सहज समर्थन लगता है.

एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने पीएम मोदी से सवाल किया कि विपक्ष एक और आशंका जाहिर करता है कि 400 सीटें इसलिए मांग रहे हैं क्योंकि इनको संविधान बदलना है?

इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में ऑलरेडी 2019 से 2024 तक 400 सीटें हैं. हम जीतकर एनडीए करीब 360 सीटें आए थे और एनडीए प्‍लस हमारा 400 सीटें हमारी 2019 से 2024 तक लगातार रही हैं. इसलिए 400 सीटों को संविधान बदलने की बात से जोड़ना मूर्खतापूर्ण है. सवाल यह है कि ये लोग हाउस को चलने ही नहीं देना चाहते हैं. दुनिया जब 400 सीटों को देखती है, तो उन्हें लगता है कि हां कुछ बात है. कांग्रेस ने संविधान का क्या किया? ये संविधान की बातें करते हैं. कांग्रेस के संविधान का क्‍या हुआ मैं पूछता हूं? क्‍या ये परिवार कांग्रेस पार्टी के संविधान को स्वीकार करता है? आपको याद होगा कि टंडन जी (पुरुषोत्तम दास टंडन) को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था. संविधान के तहत बने थे. नेहरू जी को टंडन जी मंजूर नहीं थे. फिर नेहरू जी ने ड्रामा किया और बोले कि मैं कार्यसमिति में नहीं रहूंगा. पूछा क्यों, क्योंकि इनको आखिरकार, कांग्रेस पार्टी को इलेक्‍टेड राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटाना पड़ा, इस परिवार को खुश करने के लिए. सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. व्यवस्था के तहत बने हुए थे. कोई मुझे बताए उनको बाथरूम में बंद कर दिया गया. रातोंरात उठाकर बाहर फेंक दिया और मैडम सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बन गईं. मेरे पास जानकारी नहीं है, लेकिन मेरे मन में सवाल उठता है कि जो इस प्रकार से कांग्रेस पार्टी पर कब्जा करते हैं, मैं जानना चाहूंगा कि आज कांग्रेस के जितने पदाधिकारी हैं, वे कब कांग्रेस के मेंबर बने थे? देश को वो डिक्लेयर करें, अपने संविधान के हिसाब से.

पीएम मोदी ने कहा, अब बताइए ये संविधान की बात बोलने का उनको हक है क्‍या. दूसरा इन्‍होंने संविधान के साथ क्‍या किया, मैं तो कहता हूं कि जो पहला संविधान बना उसकी एक आत्मा भी है और शब्द भी. आत्मा क्या थी- संविधान निर्माताओं ने बड़ी बुद्धिमानी की थी कि जो लिखित में चीज रखी जाएगी, वो वर्तमान और भविष्‍य के लिए होगी. लेकिन, हमारा एक भव्य भूतकाल भी है, हमारी भव्य विरासत है, उसका क्या करेंगे. तब तो संविधान बहुत बड़ा हो जाएगा, तो उन्‍होंने बड़ी बुद्धिपूर्वक संविधान को चित्रों को मढ़ा. ये सारे चित्र भारत की हजारों साल की विरासत हैं. रामायण हो, महाभारत हो, सारी चीजें उसमें हैं. पंडित नेहरू ने पहला काम क्या किया, संविधान की इस पहली प्रति को डिब्बे में डाल दिया और बाद में जो संविधान छपा, वो इन चित्रों के बिना था. यानी इन्‍होंने उन चित्रों को काट दिया और 15 अगस्त के बाद का हिंदुस्तान शुरू कर दिया, अपने परिवार की जय-जयकार करने के लिए.

दूसरा इन्‍होंने संविधान की आत्मा पर प्रहार किया, पहला संशोधन पंडित नेहरू ने अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाने का किया. ये संविधान की आत्मा पर पहला प्रहार था. फिर संविधान की भावना पर उन्होंने प्रहार किया. इन्‍होंने अनुच्छेद-356 का दुरुपयोग करके 100 बार उन्होंने देश की सरकारों को तोड़ा. फिर इमरजेंसी लेकर आए. एक तरीके से तो उन्होंने संविधान को डस्टबिन में डाल दिया. इस हद तक उन्होंने संविधान का अपमान किया. फिर उनके बेटे आए, पहले नेहरू जी ने पाप किया, फिर इंदिरा गांधी ने किया, फिर राजीव गांधी आए. राजीव गांधी तो मीडिया को कंट्रोल करने के लिए एक कानून ला रहे थे. शाहबानो का सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट उखाड़ कर फेंक दिया और संविधान को बदल दिया, क्योंकि वोटबैंक की राजनीति करनी थी. वो चुनाव के दिन थे, इसलिए वो रुक गए. फिर उनके सुपुत्र आए, शहजादे जी वो तो कुछ हैं ही नहीं एक एमपी के सिवा. कैबिनेट के निर्णय को उन्होंने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के अंदर फाड़ दिया. ये संविधान की बातें करते हैं. जो चारा चोरी में जेल में बैठे हुए हैं, जिन्हें बीमारी के कारण जेल से बाहर आने की इजाजत मिली है, वो संविधान-संविधान की बातें करते हैं. जिन्होंने संविधान की सारी भावनाओं को तोड़ते हुए जब ‘वुमेन आरक्षण बिल’ आया था, तो पार्लियामेंट के अंदर उन्होंने बिल की प्रति को छीना और फाड़ दिया और संसद का वो आखिरी दिन था. संविधान के साथ घोर अपमान करने वाले लोग आज संविधान सिर पर रखकर नाच रहे हैं. ये झूठ बोल रहे हैं.

जीकेटी/