यमुनोत्री, 18 मई . उत्तराखंड की साल 2024 की चारधाम यात्रा को शुरू हुए एक हफ्ता हो गया है और इस शुरुआती एक सप्ताह में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने चारधाम में दर्शन किए. चारधाम में अभी तक 13 श्रद्धालुओं की भी मौत हो चुकी है. श्रद्धालुओं के साथ-साथ अब घोड़े और खच्चरों की भी मौत का सिलसिला शुरू हो गया है.
हर साल चारधाम यात्रा पर यमुनोत्री और केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए घोड़े खच्चरों के साथ ही डंडी और कंडी वाले भी रोजगार के लिए आते हैं, क्योंकि यमुनोत्री और केदारनाथ धाम दोनो ही ऊंचाई पर स्थित हैं. यहां दर्शन करने के लिए चढ़ाई करके श्रद्धालु धाम में पहुंचे हैं और मां यमुना के यमुनोत्री धाम में दर्शन करते हैं, तो केदारनाथ धाम में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करते हैं. जिसके लिए श्रद्धालुओं को डंडी कंडी के साथ ही घोड़े खच्चरों से धाम में जाना पड़ता है.
जो श्रद्धालु पैदल यात्रा नहीं कर सकते, वो ही घोड़े खच्चरों की मदद से धाम में पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की तरह ही घोड़े-खच्चरों का भी रजिस्ट्रेशन होता है. अब इन घोड़े-खच्चरों की भी मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. यमुनोत्री के वैकल्पिक रास्ते भडेलीगाड पर एक घोड़े की मौत हो गई है. यमुनोत्री धाम का वैकल्पिक रास्ता भडेलीगाड बहुत ही बुरी हालत में है. इस 2.5 किलोमीटर के इस रास्ते पर हर साल सैकड़ों की संख्या में घोड़े-खच्चरों की मौत होती है. यमुनोत्री धाम जाने के लिए ये वैकल्पिक मार्ग बेहद संवेदनशील होने के साथ ही यहां ऊंची चोटी और खड़ी चढ़ाई है, जो श्रद्धालुओं के साथ ही इन बेजुबान जानवरों के लिए भी खतरनाक है. इस चढ़ाई पर चलते समय बहुत सावधानी बरतते हुए आगे बढ़ना पड़ता है, नहीं तो छोटी सी गलती से यहां जान जा सकती है.
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स्मिता/एसजीके