पटना, 16 मई . बिहार सरकार अवैध खनन एवं परिवहन की रोक को लेकर लगातार उपाय कर रही है. इसके तहत अब खनिज परिवहन के वाहनों की चारों तरफ लाल रंग की पट्टी से पहचान की जा सकेगी. इसका उद्देश्य वाहनों की पहचान के साथ जांच की सुविधा बताई जा रही है. खान और भूतत्व विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है.
बिहार सरकार ने अवैध रूप से बालू की ढुलाई पर रोक लगाने के लिए वाहनों में जीपीएस लगाने की अनिवार्यता पूर्व से ही की है. इसके बावजूद बालू के अवैध खनन को नियंत्रित करने के लिए वाहनों में विशिष्ट पहचान प्रतीक लगाने की जरूरत हो रही थी, जिससे मुख्य मार्ग से होकर गुजरने वाले बालू लदे वाहनों को देखकर ही पहचाना जा सके.
खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, एक जुलाई 2024 से खनिज लदे वाहनों पर विशिष्ट पहचान अनिवार्य किया गया है. विभाग द्वारा बालू के परिवहन हेतु ‘खनन सॉफ्ट’ में निबंधित जीपीएस लगे वाहनों पर चारों तरफ से लाल रंग की 20 इंच चौड़ी पट्टी वाहन मालिकों को रंगवाना होगा और पट्टी पर चारों तरफ छह इंच के साइज में खनन वाहन-निबंधन संख्या (खनन सॉफ्ट में निबंधन संख्या) एवं वाहन संख्या अंकित करना अनिवार्य किया गया है.
इसमें साफ कहा गया है कि बालू बंदोबस्तधारी भी विशिष्ट पहचान अंकित किए गए एवं जीपीएस वाहनों को ही परिवहन चालान निर्गत करेंगे. माना जा रहा है कि खनिज लदे वाहनों के लाल रंग से रंगे होने के कारण प्रशासन द्वारा इसकी आसानी से जांच की जा सकेगी. आम लोग भी ऐसे वाहनों पर निगाह रख सकेंगे एवं वाहन संख्या डालकर खनन सॉफ्ट पोर्टल पर यह जान सकेंगे कि उक्त वाहन के लिए बालू का चालन कब तक वैध है.
विशिष्ट पहचान के बिना यदि बालू का परिवहन करते वाहन पाया जाएगा तो, यह स्पष्टतः अवैध बालू के परिवहन का मामला होगा. इससे अवैध परिवहन पर सही ढंग से निगरानी रखी जा सकेगी.
उल्लेखनीय है कि बिहार में बालू खनन का अवैध धंधा कई जिलों में चलने की शिकायत मिलती रहती है. पुलिस और खनन विभाग द्वारा कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन अब तक इस पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगाया जा सका है.
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एमएनपी/एबीएम