नई दिल्ली, 13 मई . एक शोध से यह बात सामने आई है कि हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाला मेटाबोलिक सिंड्रोम स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं में मृत्यु दर के जोखिम को बढ़ा सकता है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम को हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, असामान्य कोलेस्ट्रॉल के साथ मोटापे के रूप में परिभाषित किया गया है.
विली द्वारा अमेरिकन कैंसर सोसायटी की समीक्षा पत्रिका ‘कैंसर’ में ऑनलाइन प्रकाशित निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मोटापे का स्तन कैंसर सबटाइप और मृत्यु जोखिम के साथ अलग-अलग संबंध हैं.
यह विश्लेषण पूर्व स्तन कैंसर के बिना 63,330 पोस्टमेनोपॉज़ल के साथ-साथ सामान्य प्रवेश मैमोग्राम और मेटाबॉलिक स्कोर (0-4) पर आधारित था. 23.2 वर्षों के औसत अनुवर्ती के बाद 4,562 स्तन कैंसर की घटनाएं हुईं और स्तन कैंसर (स्तन कैंसर मृत्यु दर) से 659 मौतें हुईं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापे की परवाह किए बिना उच्च मेटाबॉलिक स्कोर (3-4) से खराब पूर्वानुमान वाले एस्ट्रोजन रिसेप्टर (ईआर) पॉजिटिव, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर (पीआर) नेगेटिव स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और स्तन कैंसर से मृत्यु दर का 44 प्रतिशत अधिक जोखिम होता है.
दूसरी ओर मेटाबॉलिक स्कोर की परवाह किए बिना मोटापे के कारण ईआर पॉजिटिव और पीआर पॉजिटिव कैंसर का अच्छे तरीके से पूर्वानुमान लगाया गया.
केवल गंभीर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में स्तन कैंसर से मृत्यु का खतरा अधिक था.
कैलिफोर्निया में द लुंडक्विस्ट इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक रोवन टी. क्लेबोव्स्की ने कहा, ”उच्च मेटाबोलिक स्कोर वाली पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को उच्च स्तन कैंसर से मृत्यु का जोखिम होता है.”
रोवन ने कहा कि किसी भी स्वास्थ्य सुविधा में नियमित दौरे के दौरान “कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के इतिहास के साथ-साथ कमर की परिधि और रक्तचाप माप” की जांच कर मेटाबोलिक स्कोर आसानी से निर्धारित किया जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है.
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एमकेएस/