चेन्नई, 12 मई . तमिलनाडु के अंगूर किसान निराश हैं. पिछले कुछ सप्ताह के दौरान उच्च तापमान के कारण अंगूर की पैदावार में भारी गिरावट की आशंका है. राज्य में अंगूर की दो मुख्य किस्में – पन्नीर थिराचाई (मस्कट हैम्बर्ग) और ओडैपट्टी बीज रहित अंगूर – उगाई जाती हैं.
थेनी के किसान के. मुनियंदी ने लगभग 10 एकड़ भूमि पर पन्नीर थिराचाई की खेती की है. उन्होंने को बताया कि उच्च तापमान के कारण फसल की पैदावार में भारी गिरावट आएगी.
आम तौर पर, एक एकड़ में 10-12 टन अंगूर होते हैं. लेकिन तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने के कारण, उपज प्रति एकड़ तीन टन से भी कम होगी.
उन्होंने आगे बताया कि एक एकड़ अंगूर की खेती के लिए किसान को करीब 1.25 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. यदि पैदावार प्रति एकड़ तीन टन तक गिर जाए तो किसानों की स्थिति दयनीय हो जाएगी.
पन्नीर थिराचाई किसान संघ के नेता करुप्पनन राजू ने से कहा, “हमारे लगभग 90 प्रतिशत किसान कम्बम क्षेत्र में फलों की खेती कर रहे हैं. लू के थपेड़ों ने हमारी जिंदगी तबाह कर दी है. करीब 300 किसान पांच हजार एकड़ भूमि पर खेती कर रहे हैं और हमें भारी नुकसान की आशंका है.”
उन्होंने यह भी कहा कि उपज आम तौर पर मिलने वाली पैदावार के 80 प्रतिशत से कम होगी. उन्होंने तमिलनाडु कृषि विभाग से उनके नुकसान के लिए मुआवजा देने का आह्वान किया है.
ओडैपट्टी बीज रहित अंगूर किसानों की भी यही कहानी है. ओडैपट्टी थेनी जिले का एक क्षेत्र है, जहां लगभग 1,000 एकड़ भूमि पर बीज रहित अंगूर की खेती की जाती है, जिसमें 200 किसान शामिल हैं.
अंगूर किसान कृष्णन थेवर ने को बताया, “हम अंधकारमय भविष्य का सामना कर रहे हैं. हमें एक एकड़ से केवल दो-तीन टन अंगूर ही मिलेगा जो बहुत कम है. आम तौर पर, हम एक एकड़ भूमि से लगभग 12 टन फसल काटते हैं.”
उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार ओडैपट्टी अंगूर के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति किलोग्राम तय करे, जैसे राज्य सरकार ने फसल नुकसान होने पर गन्ने और धान के लिए किया था.
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एफजेड/एकेजे