नई दिल्ली, 9 मई . दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) से कहा कि वो फ्लैट मिलने में देरी के कारण एक घर खरीदार को 76 लाख रुपये से ज्यादा लौटाए. खरीदार ने साल 2017 में फ्लैट के लिए पैसे दिए थे, लेकिन उसे फ्लैट कभी नहीं सौंपा गया.
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एनबीसीसी को खरीदार (वादी) द्वारा भुगतान की गई पूरी रकम 30 जनवरी 2021 से आज तक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया.
यह फैसला खरीदार को छह साल से अधिक की देरी और अनिश्चितता के कारण काफी परेशानी का सामना करने के बाद आया है.
अदालत के फैसले में भरोसे का टूटना और खरीदार पर मनोवैज्ञानिक असर का जिक्र है. अदालत ने कहा कि घर खरीदना किसी व्यक्ति या परिवार के लिए अपने जीवनकाल में किए गए सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है. इसमें अक्सर सालों की बचत, सावधानीपूर्वक योजना और भावनात्मक निवेश शामिल होता है.
एनबीसीसी ने तर्क दिया कि वादी ने कई मंचों के माध्यम से इसी तरह की राहत की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था, इसलिए इसे भी खारिज किया जाय.
अदालत ने मामले से निपटने के तरीके के लिए राज्य इकाई एनबीसीसी की आलोचना की और कहा कि उनके कार्यों के लिए कड़ी प्रतिक्रिया की जरूरत है. रिफंड के अलावा, अदालत ने वादी को सहन की गई कठिनाइयों के लिए मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने का आदेश दिया है.
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