सलेम में दलितों पर हुई हिंसा को लेकर 8 मई को विरोध प्रदर्शन करेगी वीसीके

चेन्नई, 7 मई . तमिलनाडु में दलित राजनीतिक दल विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) ने अधिकांश पिछड़े वर्गों (एमबीसी) और दलितों के बीच हुई हालिया जातीय हिंसा को लेकर 8 मई को सलेम जिले के दिवाट्टीपट्टी में एक विरोध मार्च निकालने की घोषणा की है.

एक उत्सव के दौरान पिछड़े वर्गों द्वारा दलितों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने से इनकार करने के बाद ये झड़पें हुईं, जिसके बाद से दिवात्तीपट्टी में तनाव बढ़ गया.

पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी उस इलाके में डेरा डाले हुए है जहां दोनों समुदायों के बीच छिटपुट हिंसा हुई.

आदि द्रविड़ समुदाय (अनुसूचित जाति समुदाय) को वन्नियार समुदाय द्वारा दीवत्तिपट्टी के मरियमन मंदिर में जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया और इसके कारण गुरुवार को दोनों समुदायों के बीच हिंसक टकराव और पथराव हुआ. हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था.

हालांकि पिछले कुछ दिनों में हिंसा की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है, लेकिन दोनों समुदायों के बीच कभी-कभार पथराव की घटनाएं हुई हैं. क्षेत्र में हिंसा को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने को बताया कि घर के काम के लिए चाकू और हंसिया खरीदने वालों पर भी पुलिस नजर रखे हुए है.

अधिकारी ने कहा कि सलेम जिले में पुलिस ने चाकू और दरांती बेचने वाली दुकानों को उनसे ये वस्तुएं खरीदने वालों के फोन नंबर और पहचान पत्र विवरण लेने का निर्देश दिया है.

इस बीच वीसीके के 8 मई को मार्च के आह्वान के बाद पुलिस अलर्ट पर है और सूत्रों के मुताबिक, तमिलनाडु विशेष शाखा पुलिस ने सलेम जिला पुलिस को कार्यक्रम के दौरान हिंसा की संभावना के बारे में इनपुट दिया है.

वीसीके महासचिव और विल्लुपुरम लोकसभा क्षेत्र से सांसद डी रविकुमार भारी पुलिस बंदोबस्त के तहत विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगे.

सांसद और वीसीके के संस्थापक नेता थोल थिरुमावलवन ने को बताया कि विरोध मार्च के दौरान कोई हिंसा नहीं होगी. विरोध मार्च का मकसद केवल दलितों पर होने वाले अत्याचार और मंदिरों में प्रवेश से इनकार को उजागर करना है. उन्होंने कहा कि वीसीके एक राजनीतिक दल है जो हिंसा में विश्वास नहीं रखता.

एमकेएस/