दिल्ली हाईकोर्ट ने पाॅक्सो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शख्स को दी छुट्टी

नई दिल्ली, 6 मई . दिल्ली उच्च न्यायालय ने फर्लो के प्रावधान के वास्तविक उद्देश्य और भावना को बनाए रखने के लक्ष्य से पॉक्सो अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रहे शख्स को छुट्टी दे दी.

कैदी द्वारा जेल से बाहर छुट्टी पर बिताई गई अवधि उसकी सजा में गिनी जाएगी.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि जेल नियमों की कठोर और यांत्रिक व्याख्याएं छुट्टी के पीछे के परोपकारी इरादे को अस्पष्ट कर सकती हैं. इससे कैदियों के जीवन में इसका महत्व कम हो सकता है.

अदालत ने ये टिप्पणी आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति से जुड़े मामले में की.

उसके अपराधों की गंभीरता के बावजूद, जेल में उसके अच्छे आचरण और सुधार के उसके प्रयासों को स्वीकार करते हुए अदालत ने उसे तीन सप्ताह के लिए छुट्टी दे दी.

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि एकांत कारावास से किसी कैदी के सुधार की राह में बाधा नहीं आनी चाहिए. उन्होंने पूरी न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और मानवता सुनिश्चित करने में अदालतों की भूमिका पर जोर दिया.

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि छुट्टी के प्रावधान जेल में बंद व्यक्तियों के लिए आशा की एक किरण प्रदान करते हैं. इससे उन्हें अपने परिवारों के साथ फिर से जुड़ने, चिकित्सा उपचार लेने और पुनर्वास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए अस्थायी रिहाई की अनुमति मिलती है.

अदालत ने केवल अपराध की गंभीरता के आधार पर छुट्टी से इनकार करने की धारणा को खारिज कर दिया और कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण फर्लो के प्रावधान के उद्देश्य को कमजोर कर देगा.

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