विश्व भारत की प्रगति को स्वीकार कर रहा है : उपराष्ट्रपति

ग्रेटर नोएडा, 6 मई . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शीर्ष नेतृत्व स्तर पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर संतोष और प्रसन्नता व्यक्त की है.

उन्होंने सितंबर 2023 में संसद द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए शिक्षकों और विद्यार्थियों को नए संसद भवन देखने के लिए आमंत्रित किया.सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ग्रेटर नोएडा के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (बिमटेक) के 36वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे.

भारत के युवाओं की प्रतिभा की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि आज विश्व की हर प्रतिष्ठित कम्पनी भारतीय युवाओं की प्रतिभा का लाभ उठा रही है. आगामी 25 सालों के अमृत काल में आज की पीढ़ी की भागीदार होगी और वो राष्ट्र के निर्माता होंगे. विगत दस सालों में भारत ने पांच सबसे कमजोर फाइव से विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा तय की है और अगले 3-4 सालों में हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे.

उन्होंने कहा कि जी 20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् का नया मंत्र दिया. विकसित भारत के इस यज्ञ में सभी का योगदान अपेक्षित होगा. उन्होंने छात्राओं से आग्रह किया कि वे तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी में निपुणता हासिल करें. थोड़े से लाभ के लिए अनावश्यक वस्तुओं का आयात न किया जाय, जो देश में देश के कारीगरों द्वारा बनाई जा सकती है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम देश से कच्चे माल का निर्यात करने के बजाय उसमें मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) करके निर्यात करें. इससे देश के कारीगरों को वैश्विक पहचान भी मिलेगी. दस सालों में हुए बदलाव की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज कानून का राज स्थापित है. सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने के बराबर अवसर और समान अधिकार सुनिश्चित किए जा रहे हैं. आज सत्ता संस्थान भ्रष्ट दलालों से मुक्त हैं.

उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि नए भारत में उनके लिए नई संभावनाओं ने नए क्षितिज खुल रहे हैं. वे जीवन की असफलताओं से न डरें, न विचलित हों. असफलता में ही भावी सफलता का मंत्र छुपा होता है.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री बृजेश सिंह, अध्यक्ष बिमटेक, जयश्री मोहता, संस्थान के निदेशक मंडल के सदस्य, शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे.

पीकेटी/एकेएस