खीमठ, 6 मई . केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा 10 मई को शुरू हो जाएगी. इससे पहले सोमवार को बाबा केदारनाथ की चल विग्रह पंचमुखी डोली ने पंच केदार गद्दी ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया.
सोमवार सुबह पूजा अर्चना के बाद डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर सभा मंडप में विराजमान किया गया. हक हकूक धारियों ने चल उत्सव विग्रह डोली का श्रृंगार किया. इसके बाद मंदिर की तीन परिक्रमा कर डोली को गंतव्य की ओर प्रस्थान कराया गया.
सोमवार को डोली गुप्तकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी. इसके बाद 7 मई को गुप्तकाशी और 9 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी.
10 मई को सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम का कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. इसकी प्रक्रिया भी रविवार से ही शुरू कर दी गई थी. इसी कड़ी में भैरवनाथ जी की पूजा-अर्चना की गई. भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
ओंकारेश्वर मंदिर स्थित भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना संपन्न हुई. केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग महाराज की मौजूदगी में धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिवं शंकर लिंग ने भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया. इसके साथ ही पंचामृत अभिषेक, रुद्राभिषेक के साथ पूरी पकौड़ी की माला से भैरवनाथ का श्रृंगार किया गया. बाल भोग के बाद भगवान भैरवनाथ को महाभोग लगाया गया.
रावल भीमाशंकर लिंग की अगुवाई में पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग, गंगाधर लिंग, शिवलिंग ने अष्टादश आरती उतारी, जबकि, मंदिर के वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी, आशाराम नौटियाल के वेद मंत्रोच्चारण के बीच सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया.
रावल भीमाशंकर लिंग ने धाम के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग को भैरवनाथ के समक्ष धाम के लिए आगामी छह माह के पूजा का संकल्प दिलाते हुए आशीर्वाद दिया. जिसके बाद मौजूद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया. इस दौरान ओंकारेश्वर मंदिर को आठ क्विंटल फूलों से सजाया गया था.
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स्मिता/पीएसके