नई दिल्ली, 5 मई . भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के क्षेत्र में वित्त वर्ष 2025-26 तक 300 अरब डॉलर पर पहुंचने का लक्ष्य रखा है. इससे सेमीकंडक्टरों की मांग बढ़कर 90-100 अरब डॉलर पर पहुंच जायेगी, जिसमें घरेलू मोबाइल विनिर्माण का सबसे ज्यादा योगदान होगा – एक ऐसा अवसर जिसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिये.
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने एक रिपोर्ट में बताया कि आम तौर पर किसी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद की लागत का 25 से 30 प्रतिशत चिप के मद में खर्च होता है. वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग का आकार 103 अरब डॉलर का है जिसके लिए करीब 26-31 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर की जरूरत होती है.
रिपोर्ट के अनुसार, “इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में संभावित बढ़ोतरी (वित्त वर्ष 2025-26 तक 300 अरब डॉलर) के मद्देनजर यह आंकड़ा बढ़कर 90-100 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है.”
पिछले सात साल में देश के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़कर 44 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
वित्त वर्ष 2022-23 में इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) का आयात 16.14 अरब डॉलर रहा था जिसमें 12 अरब डॉलर के आईसी का आयात मोबाइल फोन विनिर्माण के लिए किया गया था.
आईसीईए ने बताया कि हाई एंड फोनों में इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर चिप के प्रतिस्पर्द्धी स्तर पर देश में विनिर्माण के लिए अभी कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है. उसने कहा, “हालांकि कम कीमत वाले स्मार्टफोनों के लिए देश में प्रोसेसर चिप के विनिर्माण में काफी संभावनाएं हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर का घरेलू विनिर्माण बढ़ाकर आयात पर निर्भरता कम करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश से तैयार की जा रही तीन सेमीकंडक्टर परियोजनाओं का इस साल मार्च में शिलान्यास किया था. गुजरात के माइक्रॉन सेमीकंडक्टर प्लांट में दिसंबर तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है.
–
एकेजे/