नई दिल्ली, 4 मई . उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित ‘विकसित भारत एंबेसडर’ कार्यक्रम में आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने काशी के कायाकल्प को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की और कहा कि 10 साल पहले की और आज की काशी नगरी में जमीन- आसमान का फर्क है. आज यहां व्यापार बढ़ा है, सड़कें चौड़ी हुई हैं, घाट और स्वच्छ हो गए हैं. लोगों के चेहरों पर जो खुशी देखने को मिलती है उसको देखकर दिल को तसल्ली मिलती है.
‘विकसित भारत एंबेसडर’ संवाद को संबोधित करते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा कि देश के इतिहास में देखें तो हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं. भारत पुरातन व नूतन दोनों को साथ लेकर चला है, इसलिए इसे सनातन भी कहते हैं. सनातन परंपरा में हमारी विरासत यह दर्शाती है कि सबसे संवाद करें. आपको गर्व होता होगा कि आपके सांसद दुनिया के विश्वामित्र बन गए हैं. आपके द्वारा चुने गए एक सांसद दुनियाभर में देश का झंडा ऊंचा कर रहे हैं. देश का भविष्य उज्ज्वल हुआ है. आज हम चांद और मंगल तक पहुंच गए हैं. विज्ञान और ज्ञान को साथ में लेकर चले. जीवन का वृक्ष नूतन और पुरातन के साथ चला है. इसकी जड़ हमारी विरासत है, विकास और विज्ञान इसकी शाखाएं हैं. काशी नगरी इन दोनों के लिए ही जानी जाती है.
उन्होंने कहा कि जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ था वह मौजूद थे. पीएम ने वहां बहुत अद्भुत काम किया. एक तीर से दो काम कर दिए. जब वह संबोधन करने से पहले गंगा से जल लेकर आए और पूजा-अर्चना करके बाहर आए तो सबसे पहले सफाई कर्मचारियों के पास जाकर उनके पैर धोए और उनके ऊपर पुष्पवर्षा की. कार्यक्रम में मौजूद संत महात्मा यह देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित हो गए कि फूल तो उन पर बरसते हैं और पैर भी उनके धोएं जाते हैं, प्रधानमंत्री वहां कैसे चले गए. हालांकि मुझे यह देखकर हंसी और खुशी दोनों हो रही थी. पहले राजा-महाराजा सामान्य प्रजा के साथ संपर्क रखते थे. उनसे बातचीत किया करते थे किसी को न्याय चाहिए होता था तो उनके पास जाते थे. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ के जरिए आम जनता से संवाद किया. हमारे देश में ऐसे नेता हैं जो लोगों के साथ संपर्क में हैं और उनके कष्ट को सुनते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश जब आजाद हुआ तो सेंगोल मदुरै से आया था. मगर उस पर किसी का ध्यान नहीं गया और उसे नजरअंदाज किया गया. पीएम मोदी पहले व्यक्ति हैं जिसने उस धरोहर को पहचाना और सेंगोल को वहां स्थापित किया जहां उसे सम्मानपूर्वक होना चाहिए. देश में कट्टरपंथी सोच के लोग नहीं हो सकते हैं, हम “वसुधैव कुटुंबकम” के विचार को अपनाते हैं. इसलिए भारत के बारे में जो विदेशी मीडिया कुछ अनाप-शनाप लिखता है, वे असल में भारत को जानते नहीं हैं या फिर भारत की प्रगति से उनको जलन है या फिर नासमझी में लिखते हैं. लेकिन इन सब चीजों की परवाह किये बिना हम आगे बढ़ते हीं जाएंगे.
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एसके/एकेजे