रांची, 1 मई . जमीन घोटाले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर बुधवार को पीएमएलए के स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई. बहस सुनने के बाद जज राजीव रंजन ने दोनों पक्षों को 4 मई तक लिखित तौर पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दलीलें रखी. उन्होंने कहा कि ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. ऐसे में उनके खिलाफ शेड्यूल ऑफेंस का मामला नहीं बनता है. उनके मुवक्किल को राजनीति से प्रेरित होकर फंसाया गया है. ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.
दूसरी तरफ ईडी की ओर से जोएब हुसैन ने जमानत की मांग का विरोध करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन प्रभावशाली व्यक्ति हैं. अगर उन्हें जमानत मिल गई, तो वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं. ईडी ने जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए हैं, इससे साफ है कि जमीन घोटाले में उनकी सीधी संलिप्तता है.
इसके पहले 23 अप्रैल को भी कोर्ट में इस जमानत याचिका पर जब सुनवाई हुई थी, तो ईडी ने अपना पक्ष रखने और जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा था.
बता दें कि रांची के बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. ईडी ने मामले में 30 मार्च को अदालत में हेमंत सोरेन के अलावा जमीन के मूल रैयत राजकुमार पाहन, हेमंत सोरेन के करीबी विनोद कुमार, राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और हिलेरियस कच्छप के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल की है.
इसमें बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से जमीन हासिल की, बल्कि जांच शुरू होने पर साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की. हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी के ढाई महीने बाद पहली बार जमानत की याचिका दाखिल की है, जिस पर इसके पहले 16 अप्रैल को भी सुनवाई हुई थी.
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एसएनसी/एबीएम